लोकसभा चुनाव 2019 में पहले चरण की वोटिंग से पहले रविवार का दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अहम रहा। सहारनपुर में सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन करने के नारे के साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख अखिलेश यादव, मायावती और अजीत सिंह ने देवबंद में चुनावी सभा की।

मंच पर एक साथ आए इन तीनों नेताओं की मुलाकात के दौरान कुछ कंफ्यूजन भी दिखा। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंच पर कंफ्यूज दिखाई दिए। खासबात यह भी है कि इस खास मंच का संचालन करते बीएसपी में चाणक्य की भूमिका में बैठे सतीश चंद्र मिश्र दिखाई दिए।अगले हफ्ते पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग होगी।

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इनमें राज्य की सहारनपुर, मुजफ्फनगर, गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, कैराना, बिजनौर और गौतमबुद्ध नगर की सीटें शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इन सभी सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे। हालांकि कैराना में मध्यावधि चुनावों में दोनों एसपी और बीएसपी के समर्थन से आरएलडी ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी। कैराना में मिली इसी जीत के भरोसे एसपी-बीएसपी-आरएलडी महागठबंधन 8 सीट पर बीजेपी को चित करने की रणनीति पर काम कर रही है।

इस महत्व के चलते आज प्रदेश के और खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वोटरों की नजर लगी थी। खासबात यह भी है कि चुनावी गणित में भी यह पहला मौका है कि अपने राजनीतिक अस्तित्व में पहली बार ऐसे गठजोड़ का परीक्षण किया जा रहा है। इस महागठबंधन के तीनों वरिष्ठ नेताओं मायावती, अखिलेश और अजीत सिंह के मंच पर आने से एक बात सबसे पहले साफ हुई कि इस तस्वीर ने दिखाया कि गठबंधन में अजीत सिंह सबसे छोटे पार्टनर हैं।

हालांकि इस मुलाकात में सबसे अहम रहा कि मंच पर तीनों नेताओं के आगमन के बाद एसपी प्रमुख अखिलेश बेहद कंफ्यूज दिखाई दिए। अखिलेश को सबसे पहले मंच खड़े होने की जगह को लेकर कंफ्यूजन रहा। मायावती को मंच पर देख अखिलेश ने पहले दाहिए हाथ पर खड़े होने की कोशिश की। मंच पर आते ही मायावती से आगे बढ़ वह भीड़ को हाथ दिखाने लगे। ऐसे में खुद मायावती ने दो बार अखिलेश को बाएं हाथ पर खड़े होने का आमंत्रण दिया लेकिन अखिलेश उनकी दाईं तरफ खड़े होने लगे।

मायावती को किनारे होते देख (अजीत सिंह इस दौरान दोनों अखिलेश और मायावती के पीछे दबने लगे) बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्र ने अखिलेश की गलती सुधारने का काम किया। सतीश चंद्र ने अखिलेश को मायावती के बाएं हाथ आकर खड़े होने के लिए इशारा किया। यह कंफ्यूजन एक बार फिर मंच पर बैठने को लेकर दिखाई दिया। जहां मायावती मंच पर गठबंधन के केन्द्र में दिखी, अखिलेश को मायावती के दाहिने हाथ आकर बैठना पड़ा।

इस कंफ्यूजन के बीच अखिलेश ने एक बार फिर कुर्सी पर बैठते ही अपने कार्यकर्ता से कागज मांगा हालांकि लोगों को इंतजार था कि बैठते ही दोनों नेताओं में बातचीत शुरू कौन करता है। गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनावों में अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए एसपी को 5  सीटों पर जीत मिली थी वहीं बीएसपी को खाता खोलने का मौका भी नहीं मिला।

जबकि 2017 के विधानसभा चुनावों में जहां बीजेपी को 312 सीट के साथ अप्रत्याशित बहुमत मिला वहीं एसपी को 47 सीट और बीएसपी को महज 19 सीट पर जीत मिली। लिहाजा, विधानसभा नतीजों के मुताबिक भी अखिलेश इस गठबंधन के बड़े पार्टनर हैं। शायद यही वजह है कि मंच पर अखिलेश असहज दिखे और गठबंधन कंफ्यूज दिखा।