नई दिल्ली/लखनऊ।

बहुजन समाज पार्टी बुधवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों को घोषित करेगी। वहीं सपा भी बसपा के बाद अपनी बची हुई सीटों के लिए प्रत्याशियों का ऐलान करेगी। सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन के मुताबिक बसपा के खाते में ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आयी हैं।

यूपी में भाजपा के मुकाबले के लिए सपा से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बुधवार को अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गयी है। यूपी में पहले चरण की चुनावी प्रक्रिया 18 मार्च से शुरू होगी। लिहाजा पहले चरण के चुनाव के लिए बसपा को भी अपने प्रत्याशियों की औपचारिक घोषणा जल्द करनी होगी। बसपा नेतृत्व के पूर्व फैसलों पर नजर डालें तो पार्टी लोकसभा हो या फिर विधानसभा के चुनाव अपने प्रत्याशियों की एक साथ ही घोषणा करता रहा है।

सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन के तहत बसपा राज्य की सिर्फ 38 सीटों पर लड़ रही है। जबकि 37 सपा को और तीन रालोद को दी गयी हैं। दो सीटें अमेठी और रायबरेली पर सपा और बसपा ने प्रत्याशी नहीं लड़ाने का फैसला लिया है। गठबंधन होने के बाद यूं तो बसपा नेतृत्व करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशियों को बतौर प्रभारी घोषित कर चुकी है, मगर औपचारिक रूप से बसपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। अब चूंकि चुनाव की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में पार्टी को अपने प्रत्याशियों की जल्द ही घोषणा करनी होगी। बसपा अध्यक्ष मायावती लखनऊ में ही हैं।

वे लगातार पार्टी जिम्मेदार नेताओं के साथ अपने खाते की सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर लगातार मंथन कर रही हैं। जानकारों के मुताबिक बसपा अध्यक्ष इस बार भी लोकसभा सीटों पर जातीय आंकड़ों के मद्देनजर सभी वर्गों को टिकट में भागीदारी दे सकती हैं। उनका फोकस अपने खाते की सीटों में ब्राह्मणों के साथ ही मुस्लिम समुदाय पर भी होगा। इनके अलावा अपने खाते की सुरक्षित सीटों पर पार्टी इसी समुदाय के प्रत्याशी तो उतारेगी ही साथ ही अति पिछड़े वर्ग को साधने के लिए प्रत्याशियों का चयन हो सकता है।