दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के रेंजीपोरा इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ एक स्थानीय आतंकी मारा गया है। आतंकी की पहचान पुलवामा के कोइल गांव के रहने वाले इश्फाक अहमद वानी के रूप में हुई है। वह जुलाई में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। 

इश्फाक  31 अगस्त 1996 को सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए लश्कर-ए-तय्यबा के कमांडर मोहम्मद यूसुफ वानी का बेटा था। 

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में जिले में अवंतिपुरा के रेंजीपुरा इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना मिलने के बाद इलाके की घेराबंदी की और तलाश अभियान चलाया। इस दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के खोज दल पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। इस मुठभेड़ में इश्फाक मारा गया। 

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खास बात यह है कि 25 साल के इश्फाक ने 2015 में एमबीए पास करने के बाद आईसीआईसीआई बैंक में नौकरी की। एक साल बाद अचानक नौकरी छोड़ दी और फलों का व्यवसाय करने लगा। इसी साल अचानक वह लापता हो गया। जुलाई में उसके आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने की खबर आई। 

इश्फाक की मां, सौतेले पिता (चाचा), तीन भाई और एक बहन है। तीन भाइयों में एक एजाज अहमद शादीशुदा है और राज्य पुलिस विभाग में कार्यरत है। अपने आखिरी फेसबुक पोस्ट इश्फाक ने केवल जिहाद की प्रशंसा में थीं। अंतिम फेसबुक पोस्ट में लिखा था, 'जो जिहाद में लड़ते हैं या तो फतह पाते हैं और अगर मर जाते हैं तो उनके जन्नत की लूट का अधिकार मिल जाता है।'