दोनों नेताओं को रविवार की रात से नजरबंद कर दिया गया था। उससे पहले इन नेताओं ने फारूख अब्दुला की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और केन्द्र सरकार को धमकी दी थी अगर केन्द्र सरकार ने राज्य के विशेष दर्जे को खत्म किया तो वह प्रदर्शन करेंगे। लिहाजा प्रशासन के आदेश के बाद इन दोनों नेताओं को अन्य नेताओं के साथ नजरबंद कर दिया गया था।
नई दिल्ली/श्रीनगर। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने का विरोध पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा और उमर अब्दुल्ला को महंगा पड़ा है। इन दोनों नेताओं को कल रात में हिरासत में ले लिया गया है और उन्हें उनके घरों से बाहर हरी सिंह पैलेस में हिरासत में रखा है। फिलहाल घाटी का माहौल शांत है।
गौरतलब है कि इन दोनों नेताओं को रविवार की रात से नजरबंद कर दिया गया था। उससे पहले इन नेताओं ने फारूख अब्दुला की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और केन्द्र सरकार को धमकी दी थी अगर केन्द्र सरकार ने राज्य के विशेष दर्जे को खत्म किया तो वह प्रदर्शन करेंगे। लिहाजा प्रशासन के आदेश के बाद इन दोनों नेताओं को अन्य नेताओं के साथ नजरबंद कर दिया गया था।
केन्द्र सरकार द्वारा राज्यसभा में इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद दोनों नेताओं को इनके घरों से निकालकर हरि सिंह पैलेस में शिफ्ट किया गया है। हालांकि देर शाम तक ये दोनों नेताओं को अपने-अपने घरों में नजरबंद थे।
राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल-2019 पेश किया था, जिसके समर्थन में 125 वोट और विपक्ष में 61 वोट पड़े है और आज ये बिल लोकसभा में पेश किया जाएगा जहां ये आसानी से पारित हो जाएगा। इस बिल को पेश करने से पहले केन्द्र सरकार ने राज्य में करीबी 40 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी थी और राज्य से बाहरी लोगों को चले जाने को कहा था। यहां तक राज्य सरकार ने अमरनाथ यात्रा को भी रद्द कर दिया था।
हालांकि महबूबा ने ट्विीटर पर ऑडियो जारी कर कहा के ये इतिहास का सबसे काला दिन है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पाकिस्ताथन के साथ न जाकर हमारे पूर्वजों ने गलती की थी। फिलहाल कल राज्यसभा में ज्यादातर राजनैतिक दलों ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है। हालांकि सरकार की सहयोगी जदयू ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।
Last Updated Aug 6, 2019, 7:51 AM IST