नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन में परेशान प्रवासियों को लेकर राजनैतिक दलों ने सियासी रोटिंया सेंकनी शुरू कर दी हैं। अब कांग्रेस ने सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाकर केन्द्र  सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को सियासी दलों की बैठक बुलाई है  और इसमें 15 से ज्यादा विपक्षी दलों ने शामिल होने की रजामंदी दी है। 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कोरोना महामारी के बीच विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है। इसकी अध्यक्ष खुद सोनिया गांधी करेंगी। ये बैठक वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी और इसमें लॉकडाउन में फंसे प्रवासी कामगारों की समस्याओं, किसानों की समस्याओं और श्रम कानूनों को लेकर चर्चा होगी।  कांग्रेस का दावा है कि भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में श्रम कानूनों में संसोधन किया है और जो श्रमिकों के हित में नहीं हैं।

इस बैठक में कांग्रेस के अलावा, बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), समाजवादी पार्टी (SP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( CPI), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) ने शामिल होने के लिए रजामंदी दी है। हालांकिबीएसपी के इस बैठक में शामिल होने को संशय है। क्योंकि बसपा प्रमुख ने पहले भी कांग्रेस को सीसीए को लेकर बुलाई गई बैठक में कांग्रेस को झटका दिया था। वहीं प्रवासियों के मुद्दे पर बसपा प्रमुख भी सरकार पर कम आक्रामक हैं। वहीं कांग्रेस ने केन्द्र सरकार पर फंसे हुए प्रवासी कामगारों की दुर्दशा के लिए असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है।  

वहीं भाजपा ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे का राजनीति कर रही है। सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि केंद्र के प्रोत्साहन पैकेज में किसानों को हुए नुकसान के लिए कुछ नहीं है।  क्योंकि कोरोना लॉकडाउन में किसानों को नुकसान हुआ है और केन्द्र सरकार ने अपने प्रावधानों में किसानों को छला है और कोई राहत किसानों को नहीं दी है।