उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में मंत्रियों और उनके निजी स्टॉफ के भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नया फरमान निकाला है। योगी सरकार के इस आदेश के तहत अब कोई भी मंत्री अपने निजी सचिव को पांच साल से ज्यादा नहीं रख पाएगा।

कुछ महीनों पहले एक स्टिंग ऑपरेशन में योगी सरकार के कुछ मंत्रियों के निजी सचिवों की पोल खुल गयी थी। इस ऑपरेशन में निजी सचिवों की होने वाली ढील और भ्रष्टाचार को उजागर किया था। जिसके बाद अब योगी सरकार ने इस तरह के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का फैसला किया है। इस फैसले के तहत मंत्रियों के साथ रहने वाले निजी सचिव व अपर निजी सचिव अधिकतम पांच वर्ष तक ही उनके साथ कार्य कर पाएंगे।

इसके बाद कोई मंत्री इन्हें अपने साथ नहीं रख सकेगा। योगी सरकार के आदेश के बाद सचिवालय प्रशासन ने दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये है। फिलहाल राज्य में योगी सरकार को बने हुए महज दो साल और हुआ है। लिहाजा निजी सचिव और पर्सनल स्टॉफ अभी तीन साल और काम कर सकता है।

इस आदेश में लिखा गया है कि “बहुधा देखा गया है कि बहुत से निजी सचिव, अपर निजी सचिव तथा समूह ‘‘ख’ व ‘‘ग’ के कर्मी लगातार मंत्रियों, राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) व राज्य मंत्रियों के साथ तैनात रहते हैं। कतिपय प्रकरण ऐसे भी संज्ञान में आये हैं कि इन श्रेणी के कार्मिकों का सम्पूर्ण सेवा काल मंत्रियों के साथ तैनाती में ही बीत गया है”।

लिहाजा अब नयी व्यवस्था पर अमल किया जाए। इस आदेश के तहत मंत्रियों के साथ तैनात होने वाले सचिवालय सेवा के समूह ख व ग के अन्य कार्मिको (समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी) पर भी ये व्यवस्था लागू होगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने एक ऐसा ही फैसला लागू किया था। जिसके तहत केन्द्र सरकार के कैबिनेट और राज्यमंत्री अपने पुराने निजी सचिव या फिर ओएसडी को फिर से उसी पोस्ट पर नियुक्त नहीं कर पाएंगे।