केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 2004 से 2014 तक देश पर राज करने वाली 'उदार' यूपीए सरकार की तुलना में अल्पसंख्यकों से कम बैर करने वाली और उन्हें हाशिये पर न रखने वाली साबित हुई है। 

2004 से 2017 के बीच भारत में हुए सांप्रदायिक झड़पों को लेकर लगाई गई एक आरटीआई के जवाब में केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से यह जवाब दिया गया है। इसके मुताबिक एनडीए का शासन यूपीए की तुलना में हर लिहाज से बेहतर रहा है। इसमें सांप्रदायिक झड़पों की घटनाएं कम हुईं हैं और उनमें लोगों के जान गंवाने और घायल होने की संख्या भी तुलनात्मक रूप से कम रही है। 

  • भारत में 2004 से 2017 के बीच संप्रदायिक हिंसा की कुल 10,399 घटनाएं हुईं। इनमें 1,605 लोगों की जान गई जबकि 30,723 लोग घायल हो गए। यूपीए के पहले शासनकाल यानी 2004 से 2008 के बीच ऐसी कुल 3,858 घटनाएं हुईं। वहीं इसके बाद यूपीए के दूसरे शासनकाल यानी 2009 से 2013 के बीच सांप्रदायिक हिंसा की 3,621 घटनाएं हुईं। 

  • उधर, 2014 से 2017 के बीच ऐसी घटनाएं कम दर्ज की गईं। इस दौरान यह आंकड़ा 2,920 है। 

  • इस कुल समयावधि में जिन तीन साल के दौरान सांप्रदायिक झड़पों की संख्या सबसे अधिक रही वह भी यूपीए के शासन के समय के हैं। 2008 में 943 घटनाएं दर्ज की गईं। वहीं 2009 में ऐसी कुल 849 घटनाएं हुईं। वर्ष 2013 में संप्रदायिक झड़पों के कुल 823 मामले सामने आए। 

  • अगर वर्तमान एनडीए सरकार का कार्यकाल की तुलना एनडीए के  पहले और  यूपीए के पहले तथा दूसरे कार्यकाल से करें तो एनडीए के शासन में सांप्रदायिक हिंसा में कम लोगों को जान गंवानी पड़ी है।

  • यूपीए के 2004 से 2014 के कार्यकाल में सांप्रदायिक हिंसा में मारे गए लोगों के औसतन आंकड़ों को लेकर भी संदेह किया जाता है। 

  • 2004 से 2013 तक प्रत्येक वर्ष औसतन 1,216 लोग सांप्रदायिक झड़पों के दौरान मारे गए थे। हालांकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद आंकड़ों में औसतन 97.25 तक की कमी आई है।  

  • यूपीए सरकार के दौरान 2008 का साल ऐसा था जब सबसे ज्यादा लोगों ने सांप्रदायिक झड़पों में जान गंवाई। इस साल 167 लोगों की जान गई जबकि 2004 में 134 और 2013 में 133 लोग मारे गए थे। 

  • वहीं, 2014 के बाद सांप्रदायिक हिंसा में मारे जाने वालों की संख्या में गिरावट आई है। 

नोएडा में रहने वाले एक आईटी प्रोफेशनल और आरटीआई एक्टिविस्ट अमित गुप्ता के आवेदन के जबाव में गृह मंत्रालय ने ये आंकड़ा दिया है। इस आरटीआई में गुप्ता ने सरकार से सांप्रदायिक झड़पों में गिरफ्तार किए जाने वाले लोगों की जानकारी मांगी थी। इस पर गृह मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के आंकड़े राज्य सरकारों द्वारा रखे जाते हैं।