डेढ़ दशक बाद साल 2014 में केंद्र की सत्ता में ऐतिहासिक जनादेश के साथ भाजपा की वापसी हुई थी। 1999 से साल 2004 तक एनडीए की अगुवाई करने वाली भाजपा 10 साल केंद्र की सत्ता से दूर रही। साल 2014 में गुजरात के तत्कालीन मुख्ममंत्री नरेंद्र मोदी के विकास और हिंदूवादी चेहरे के दम पर भाजपा ने अप्रत्याशित सफलता हासिल की। इसके बाद भाजपा कई राज्यों में भी अपनी सरकार बनाने में सफल रही। लेकिन खास बात यह है कि भाजपा लंबी योजना के साथ आगे बढ़ रही है। पार्टी ने राज्यों में अपनी सरकारों का नेतृत्व युवाओं को देने की कोशिश की है। 

गोवा में मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद पार्टी ने प्रमोद सावंत पर दाव लगाया है। गोवा में वह पार्टी का नया चेहरा हैं। प्रमोद सांवत दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेहद करीब थे। पर्रिकर के मातहत ही उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल को निखारा। पार्टी के प्रति वफादारी ने भी उन्हें गोवा में पर्रिकर के उत्तराधिकारी के तौर पर स्थापित करने में मदद की। संघ की अनुशासित पृष्ठभूमि से आने के चलते भाजपा उनमें काफी संभावनाएं देख रही है। दरअसल, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अब उन चेहरों को आगे बढ़ा रहा है, जो अपने-अपने सूबों में अगले दस साल पूरी तरह सक्रिय रह सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी की अगुवाई में यह ट्रेंड महाराष्ट्र, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल, असम और त्रिपुरा में देखने को मिला। यहां पार्टी ने पुराने और अनुभवी नेताओं पर नए चेहरों को तरजीह दी। 

महाराष्ट्र में जहां पार्टी ने 44 साल के देवेंद्र फड़णवीस को साल 2014 में सत्ता पर बैठाया, वहीं हिमाचल प्रदेश में 52 साल के जयराम ठाकुर को आगे बढ़ाया। अरुणाचल में मुख्यमंत्री पेमा खांडू महज 39 साल के हैं। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को भी पार्टी ने 54 साल की उम्र में सत्ता सौंपी। सियासी तौर पर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महज 46 साल के हैं। वहीं त्रिपुरा में 25 साल से चली आ रही वाममोर्चे की सरकार को अपदस्थ करने वाली भाजपा ने इस सूबे की कमान 47 साल के बिप्लब देब को सौंपी। मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा में प्रमोद सावंत  को सत्ता सौंपी गई है, वह 45 साल के हैं। कुल मिलाकर पार्टी की कोशिश ज्यादातर राज्यों में दूसरी लाइन के नेताओं को आगे बढ़ाने की है।

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, संघ भी चाहता है कि लंबी सियासी पारी के लिए नए नेतृत्व को तैयार करना होगा। इसके लिए राज्यों में नए लोगों पर फोकस किया जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहले ही दावा कर चुके हैं कि पार्टी अब सत्ता में लंबी पारी खेलना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी दूसरी लाइन के नेताओं को आगे बढ़ा रही है। पिछले कुछ समय से यह भी देखने में आया है कि जिन राज्यों में चुनाव होता है, वहां ज्यादा से ज्यादा युवा नेताओं को आगे किया जाता है। 

सबसे अहम बात यह है कि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह भी महज 54 साल के हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में पार्टी को अप्रत्याशित और ऐतिहासिक सफलता दिलाने के बाद उन्हें भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। सांगठनिक कौशल और चुनावी रणनीति के माहिर माने जाने वाले अमित शाह की उम्र तब 49 साल थी। पार्टी ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया। पहले यह जनवरी 2019 में खत्म हो रहा था।

हालांकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में स्थिति इसके उलट है। राहुल गांधी को साल 2017 में कांग्रेस की कमान सौंपी गई। उनकी उम्र तब 47 साल थी। अब वह 49 साल के हैं। वहीं पार्टी की जिन राज्यों में सरकार है वहां भी युवाओं पर वरिष्ठ नेताओं को  तरजीह दी गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 77 साल के हैं। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ 72  साल के हैं। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत 67 और छत्तीसगढ़ के सीएम 57 साल के हैं। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में युवाओं को कमान सौंपने का अवसर गंवाते हुए इन नेताओं की सीएम के पद पर बैठाया, जबकि पार्टी के मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट जैसे युवा चेहरे थे। सचिन पायलट को डिप्टी सीएम का पद देना पड़ा वहीं ज्योतिरादित्य की 'नाराजगी' दूर करने के लिए पार्टी ने उन्हें प्रियंका गांधी के साथ-साथ यूपी में महत्वपूर्ण पद सौंपा है।