राफेल विमान सौदे पर सवाल उठाने का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का दांव पूरी तरह उल्टा पड़ गया। कथित महंगे सौदे के कांग्रेस के आरोपों को वायुसेना पहले ही खारिज कर चुकी है। लेकिन 'माय नेशन' को मिले ताजा दस्तावेज के मुताबिक मोदी सरकार ने इस सौदे में देश के कई हजार करोड़ रुपये बचाए हैं। फ्रांस सरकार की ओर से भारत को 84,745 करोड़ रुपये में 36 राफेल विमानों की पेशकश की गई थी लेकिन सरकार लंबी वार्ता प्रक्रिया के बाद इसमें 25,000 करोड़ कम करवाने में सफल रही।

सरकार के वरिष्ठ सूत्रों के अनुसार, फ्रांस  ने 36 राफेल विमानों के लिए 11.36 बिलियन यूरो यानी 84,745 करोड़ रुपये की कीमत निर्धारित की थी। लेकिन  सरकार फ्रांस से दो साल लंबी वार्ता के इस सौदे को 7.89 बिलियन यूरो (59,262 करोड़) पर ले आई। 

वायुसेना की आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 36 विमान खरीदने की इच्छा जाहिर की थी। इसके तुरंत बाद सौदे को लेकर वार्ता शुरू हो गई। वायुसेना के उपप्रमुख को देश की सबसे बड़ी खरीद  (सौदे के मूल्य) को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी दी गई।  

सूत्रों के अनुसार, 'वार्ता के दौरान फ्रांस चार प्रतिशत प्रति वर्ष की महंगाई दर भी जोड़ना चाहता था लेकिन भारत इस पर सहमत नहीं था। इसके बाद एयरफोर्स ने यूरोप में दस वर्ष की महंगाई दर का अध्ययन किया और फ्रांस को 2016 में 1.1 प्रतिशत की दर पर राजी कराया गया। साथ ही 3.5 प्रतिशत की सीमा निर्धारित कर दी गई।' मुद्रास्फीति दर में हुए बदलाव से भी इस सौदे में कुछ बिलियन यूरो बचाने में मदद मिली। 

'माय नेशन' को मिले रक्षा मंत्रालय और वायुसेना द्वारा इस साल तैयार सरकारी दस्तावेज के मुताबिक, मोदी सरकार द्वारा खरीदे जा रहे प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 1,646 करोड़ रुपये है जबकि यूपीए सरकार के समय चल रही वार्ता के अनुसार यह 1,705 करोड़ रुपये का पड़ता। इसमें हथियार, मेंटीनेंस, सिम्युलेटर, मरम्मत में मदद और तकनीकी सहायता शामिल है। 

दस्तावेजों के मुताबिक, अगर एनडीए सरकार उन्हीं विमानों का सौदा आगे बढ़ाती जिनके लिए यूपीए सरकार के समय में वार्ता चल रही थी तो मौजूदा सरकार को 255 करोड़ रुपये और चुकाने पड़ते। दस्तावेज के मुताबिक, 36 राफेल विमानों की पूरी कीमत 59,262 करोड़ रुपये है, वहीं यूपीए सरकार के दौरान 126 विमानों के लिए 1,72,185 करोड़ रुपये चुकाए जा रहे थे। 

मोदी सरकार द्वारा भारत के लिए कुछ खास तब्दीली के एवज में  9,855 करोड़ रुपये अतिरिक्त चुकाने के बावजूद सरकार यूपीए के समय प्रत्येक विमान के लिए चुकाई जा रही कीमत से 59 करोड़ रुपये कम में सौदा करने में सफल रही। 

एनडीए सरकार लंबे समय से यह कह रही है कि उसके द्वारा किया गया 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा यूपीए के समय चल रही वार्ता और विमानों की क्षमता के मामले में काफी अच्छा है। इस दस्तावेज से राफेल डील पर चल रही बहस हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले एक साल से आरोप लगा रहे हैं कि 36 राफेल विमानों की  खरीद में मोदी सरकार के घोटाला किया है। वह सरकार से फ्रांस के साथ हुए सौदे की असल कीमत बताने की मांग कर रहे हैं। 

इस दस्तावेज के मुताबिक, मोदी  सरकार राफेल विमानों में अतिरिक्त मारक क्षमता जुड़वाने में भी सफल रही है। भारत को मिल रहे विमानों में हवा से हवा में 150 किलोमीटर की रेंज तक मार करने वाली मेट्योर मिलाइलें लगी हैं। इसके अलावा यह 300 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के ठिकाने नष्ट कर देने वाली स्कैल्प मिसाइल से भी लैस है। जबकि यूपीए सरकार के समय किए गए सौदे में यह पैकेज शामिल नहीं था।