प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने के बाद राज्य के सबसे बड़े सियासी परिवार मुलायम सिंह यादव परिवार को मोदी सरकार का रिटर्न गिफ्ट मिल गया है। केन्द्र सरकार ने शिवपाल यादव के दामाद और 2010 बैच के आईएएस अजय यादव का इंटरस्टेट डेपुटेशन दो साल के लिए बढ़ा दिया है। अब वह राज्य में और दो साल तक रह सकेंगे।  इससे पहले योगी सरकार शिवपाल को मायावती का सरकार बंगला आवंटित कर चुकी है।

असल में अजय यादव का डेपुटेशन पिछले साल 31 दिसंबर को ही खत्म हो गया था। लिहाजा उन्होंने तमिलनाडू में ज्वाइन न कर दो महीने की छुट्टी ले ली थी। इसके लिए यादव परिवार काफी पहले से ही उनका डेपुटेशन बढ़ाने के लिए लगा हुआ था, लेकिन केन्द्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी थी। यादव का डेपुटेशन पहले भी बढ़ाया गया था। नियमों के मुताबिक कोई भी अफसर तीन साल इंटरस्टेट डेपुटेशन पर रह सकता है। जिसे बाद में केन्द्र की अनुमति से बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अजय यादव के डेपुटेशन को लेकर पहले भी केन्द्र सरकार ने स्पेशल केस मानते हुए डेपुटेशन की मंजूरी दी थी।

क्योंकि नियमों के मुताबिक नौ साल की सेवा के बाद ही इंटरस्टेट डेपुटेशन की अनुमति होती है। जबकि यादव की सेवा महज पांच साल की थी। अजय यादव राज्य में सपा सरकार बनने के बाद अक्टूबूर 2015 में आ गए थे और उसके बाद उन्हें बाराबंकी का जिलाधिकारी बनाया गया था। अब राज्य की योगी सरकार की सिफारिश पर केन्द्र सरकार ने उनके डेपुटेशन की समय सीमा बढ़ाई है। राज्य में भाजपा सरकार के बन जाने के बाद राज्य सरकार ने भूमि सुधार निगम का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया था। शिवपाल सिंह यादव ने पिछले साल ही योगी आदित्यनाथ से इसी सिलसिले में मुलाकात की थी। सहारनपुर के रहने वाले अजय यादव 2010 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस हैं।

यूपी में आने से पहले पह तमिलनाडु के कोयंबटूर में कमिश्नर कमर्शल टैक्स के पद पर थे। उन्होंने नवंबर 2014 में ही अपने लिए प्रतिनियुक्ति मांगी थी। इस दौरान उन्होंने अपने बच्चे के स्वास्थ्य के कारणों का हवाला दिया था। इसके बाद भी केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने उन्हें प्रतिनियुक्ति देने से इनकार कर दिया था। मंत्रालय का कहना था कि यह इंटर कैडर प्रतिनियुक्ति केवल उन्हीं अफसरों को दी जा सकती है जो अपने मूल कैडर में नौ साल की सेवा पूरी कर चुके हों। अजय यादव मामले में पीएमओ के दखल के बाद ही इंटर-कैडर डेप्युटेशन को मंजूरी दी गयी थी। डीओपीटी ने इसे 'स्पेशल केस' मानते हुए उनके लिए मौजूदा कानूनों में रियायत दी दी थी जबकि इस कमिटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।