केंद्र सरकार ने भारत में घुसे रोहिंग्याओं द्वारा फर्जी दस्तावेजों के सहारे जुटाए गए आधार कार्ड और दूसरे पहचान पत्रों को कैंसिल करना शुरू कर दिया है,  ताकि वे इनका दुरुपयोग न कर सकें। 

केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा यूआईडीएआई को भेजे एक पत्र में उन रोहिंग्याओं का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा गया है जिन्हें आधार कार्ड जारी किया जा चुका है ताकि इन्हें तत्काल प्रभाव से कैंसिल किया जा सके। यूआईडीएआई पहले ही तेलंगाना में रह रहे 10 रोहिंग्याओं के आधार कार्ड रद्द कर चुका है। 

सरकार की ओर से भेजे गए आधिकारिक पत्र के अनुसार, रोहिंग्याओं ने फर्जी तरीके के आधार कार्ड और दूसरे पहचान पत्र हासिल कर लिए हैं, जिन्हें रद्द किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही राज्य सरकारों से भी कहा गया है कि इन लोगों के राज्य स्तरीय पहचान पत्रों को भी जल्द से जल्द कैंसिल किया जाए। 

इस संबंध में हुई एक बैठक में शामिल केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'तेलंगाना में जिन 10 आधार कार्ड को रद्द किया गया है, वे बैंक खातों और विभिन्न सरकारी योजनाओं से लिंक थे। इन्हें रोहिंग्याओं ने फर्जी तरीके से बनवाया था। वे भारतीय नहीं हैं इसलिए सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के हकदार नहीं हैं।'

सरकार की ओर से संसद में भी यह बताया गया है कि कुछ रोहिंग्या फर्जी तरीके से आधार कार्ड, वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे भारतीय पहचान पत्र हासिल कर रहे हैं। अवैध घुसपैठियों को आधार कार्ड दिए जाने से रोकने के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को जरूरी आदेश दिए गए हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एक लिखित उत्तर में भी बताया गया कि राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अवैध तरीके से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्याओं द्वारा फर्जी तरीके से जुटाए गए दस्तावेजों को रद्द करें। मंत्रालय के पास इस बात की कोई सूचना नहीं है कि लोग उन्हें अवैध तरीके से शरण मुहैया करा रहे हैं। 

केंद्र सरकार ने रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार भेजना शुरू कर दिया है। इसी महीने सात रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजा गया है। यह रोहिंग्याओं का दूसरा बैच है जिसे उनके देश लौटाया गया है। 

सरकारी सूत्रों के अनुसार, 2014 में पांच रोहिंग्या अवैध रूप से भारत में घुसे थे। उन्हें असम के सोनितपुर जिले में तेजपुर जेल के अंदर विदेशी पूछताछ कैंप में रखा गया था। म्यांमार के इन पांच नागरिकों की पहचना मोहम्मद रियास, अहमद हुसैन, मोहम्मद अयास, तय्यबा खातून और अजीदा बेगम के रूप में हुई थी। ये सबी म्यांमार के बूथीटांग के रहने वाले थे।