समय पर अपने कर्ज की किश्तें चुकता करने वाले किसानों का ब्याज सरकार माफ कर सकती है। यह घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की जा सकती है। 

इससे सरकार पर सालाना 15,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यही नहीं खाद्य फसलों के लिए होने वाले बीमा पॉलिसी का प्रीमियम माफ करने का भी प्रस्ताव है। विशेष तौर पर फलों की खेती करने वाले किसानों की प्रीमियम कम भी किया जा सकता है।

वर्तमान योजना के तहत खरीफ फसलों पर दो प्रतिशत, रबी फसलों पर डेढ़ प्रतिशत और बागवानी एवं व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत प्रीमियम किसानो को देना होता है। 

बाकी प्रीमियम का भुगतान केंद्र सरकार तथा संबंधित राज्य सरकारें आधा-आधा करती हैं। किसान अभी खरीफ तथा रबी फसलों पर करीब पांच हजार करोड़ रुपए का प्रीमियम भरते हैं। यदि प्रीमियम में छूट दी गयी तो किसानों का बोझ और कम हो जाएगा। 

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपए का कर्ज देने का लक्ष्य रखा है।  पिछले वित्त वर्ष में किसानों को 11.69 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था, जो 10 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य से ज्यादा था। 

फिलहाल किसानों को तीन लाख रुपए तक का कर्ज 7 परसेंट का सालाना ब्याज पर मिलता है। जो भी किसान इस लोन को समय पर चुकाते हैं उन्हें 3 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। इस तरह किसानों पर सिर्फ 4 परसेंट ब्याज का बोझ पड़ता है।  

अगर कोई किसान सालाना 2 लाख रुपए का लोन लेकर समय पर उसे अदा करता है तो उसी सालाना बचत 8000 रुपए की बचत होगी।