केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए आज एक बार फिर तीन तलाक बिल का प्रस्ताव लाएगी। हालांकि भाजपा की संख्या बल को देखते हुए ये बिल आज ही लोकसभा में पारित कर दिया जाएगा।

लिहाजा भाजपा ने अपने सांसदों को चर्चा के लिए व्हिप जारी किया है और उन्हें सदन में उपस्थित रहने को कहा है। लेकिन सरकार की असल परीक्षा राज्यसभा में होगी। जहां एनडीए सरकार में भाजपा के सहयोगी भी उसका साथ नहीं दे रहे हैं।

गौरतलब है कि मोदी-1 सरकार में भी इस बिल को लोकसभा में पेश किया था जहां से आसानी से पारित हो गया था। लेकिन राज्यसभा में भाजपा के पास सांसदों का संख्याबल नहीं था। जिसके कारण ये बिल पास नहीं हो सका और इसे अध्यादेश के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा जा सका।

फिलहाल केन्द्र सरकार इस बिल को पारित कराना चाहती है। क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को भी वोट दिया था। जिसको लेकर भाजपा बहुत उत्साहित है। मुस्लिमों में तीन तलाक विधेयक में एक साथ तीन तलाक बोलकर तलाक देने को अपराध करार दिया गया है।

लिहाजा अगर ऐसे में अगर आरोपी दोषी पाया जाता है तो उसके लिए इसमें सजा का प्रावधान है। हालांकि सरकार ने इसमें बदलावकर कई तरह की सहूलियतें दी हैं। पिछली सरकार में इस बिल में विपक्ष की मांग पर कई नए प्रस्तावों को जोड़ा गया था। जिसके बाद इसे फिर लोकसभा में पेश किया गया।

हालांकि इस बिल के विरोध में कई मुस्लिम संगठन भी हैं। लेकिन केन्द्र सरकार का कहना है कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है। राज्यसभा में इस बिल का विरोध विपक्षी दलों के साथ ही नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, आंध्र पर्देश की वाईएसआर कांग्रेस विरोध करेगी।

यही नहीं बिहार में भाजपा की सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड भी इस बिल का विरोध में है। जदयू साफ कर चुकी है वह यूनिफॉर्म सिविल कोड और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार का विरोध करेगी।