बोफोर्स विवाद के 30 साल बाद सेना में कोई नई तोप शामिल होने जा रही है। नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही दो नई तरह की हॉवित्जर तोपों को सेना में शामिल करने वाली है। सेना स्वचालित के-9 वज्र और अमेरिका की एम-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपों की डिलीवरी लेने के लिए तैयार है। 

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत नौ नवंबर को महाराष्ट्र के नासिक में आर्टिलरी स्कूल में इन दोनों तोपों को सेना में शामिल करेंगे। सेना लंबे समय से इन तोपों का इंतजार कर रही है। 

भारत ने अमेरिका से 145 एम-777 हॉवित्जर तोप खरीदने के लिए सौदा किया था। साथ ही दक्षिण कोरिया की एक कंपनी और भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो को मिलकर 100 के-9 वज्र तोपें बनानी थीं। इन तोपों को पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात किया जाना है। 

इन दो हॉवित्जर के अलावा सेना 300 धनुष तोप प्रणाली को भी सेना में शामिल करने की तैयारी कर रही है। इसे ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड द्वारा तैयार किया गया है। 

पिछले कुछ साल में कई कंपनियां स्वदेशी तोपों के निर्माण को लेकर नए प्रोजेक्ट के साथ आगे आई हैं। इनमें टाटा एडवांस सिस्टम और भारत फोर्ज भी शामिल है। इसने एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) को विकसित किया है। यह 50 किलोमीटर की दूरी तक निशाना भेद सकती है। मोदी सरकार ने शुरुआत में ऐसी 150 प्रणालियों को खरीदने को मंजूरी दे दी है। 

सेना को पाकिस्तान और चीन सीमा के लिए ऐसी  400-500 प्रणालियों की जरूरती है। इसलिए जल्द ही इनकी और खरीद होने की संभावना है।