कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार पर 'अंबानी-अडानी की सरकार' होने का आरोप लगाती रही है। वहीं, केंद्र सरकार ने रूस के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अडानी समूह के साथ मिलकर भारत में एके-सीरीज की आधुनिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन करने की पेशकश की थी। अडानी समूह ने हाल ही में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में कदम रखा है। 

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की इस साल अप्रैल में रूस यात्रा के बाद भारत और रूस क्लाशनिकोव-103 असॉल्ट राइफलों के भारत में उत्पादन के लिए दोनों सरकारों के बीच करार किए जाने को लेकर बात कर रहे हैं। 

सरकार के वरिष्ठ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया, 'रूस ने प्रस्ताव दिया था कि वह भारत में अपनी इस असॉल्ट राइफल के संयुक्त उत्पादन के लिए निजी क्षेत्र की कंपनी अडानी समूह के साथ साझेदारी करना चाहता है। लेकिन भारत ने उन्हें इनकार कर दिया। दो सरकारों के बीच हुए समझौते में कोई भी पक्ष अपने लिए निजी क्षेत्र के सहयोगी का नाम नहीं सुझा सकता।'

इन राइफलों के संयुक्त उत्पादन के लिए रूस की ओर से साझेदार वही कंपनी होगी, जो एके-47 सीरीज की राइफलों को निर्माण करती है। साझेदार का चुनाव अपनी मर्जी से करने देने से इनकार के बाद ऑर्डिनेंस फैक्टरी के इसकी प्रोडक्शन एजेंसी बनने की संभावना है। 

रक्षा मंत्रालय की मूल योजना के अनुसार, ऑर्डिनेंस फैक्टरी को इस परियोजना में प्रोडक्शन एजेंसी बनाया जा सकता है।

एके-103 राइफलें एक-47 असॉल्ट राइफलों का आधुनिक वर्जन है। यह पूरी दुनिया में काफी पसंद की जाती हैं। एके-47 राइफलों को उत्पादन दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद शुरू हुआ था। 

योजना के अनुसार, भारत दस लाख राइफलों का उत्पादन करेगा। इनका इस्तेमाल न सिर्फ सेना बल्कि केंद्र अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस बल भी करेंगे।

अडानी समूह ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र में उतरने का ऐलान किया था। वह स्वीडन की कंपनी 'साब' के साथ मिलकर वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान का निर्माण करना चाहता है।