देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई अपने दो शीर्ष अधिकारियों की 'जंग' में उलझी हुई है। इसे लेकर विपक्ष सरकार पर हमले कर रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सबसे विश्वस्त संकटमोचक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को विवाद हल करने की जिम्मेदारी दी है। सूत्रों का दावा है कि सरकार निष्पक्ष जांच के लिए कुछ उपाय कर सकती है। 

विवाद का समाधान निकालने के लिए डोभाल के इस मामले से जुड़े और  जानकारी रखने वाले सभी अधिकारियों से बात करने की संभावना है। वह दोनों गुटों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का भी संज्ञान ले सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय इस मामले में उछाले जा रहे कीचड़ को लेकर खासा नाराज है। इससे सरकार और सीबीआई दोनों की छवि खराब हो रही है। इस बात की संभावना है कि राकेश अस्थाना की बेटी की शादी के खर्च से लेकर दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर और एसीपी स्तर के अधिकारियों के तबादलों पर पूछताछ हो सकती है। दोनों अधिकारी इन मुद्दों पर एक दूसरे को घेर रहे हैं। इस संबंध में पहले दौर की मुलाकात हो चुकी है। राकेश अस्थाना इस मामले में पीएम मोदी से मिलने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन उन्हें पहले एनएसए से मिलने को कहा गया है। 
 
सूत्रों के अनुसार, सरकार देश की मुख्य जांच एजेंसी के दो गुटों में बंटने के मामले को बहुत ही गंभीरता से ले रही है। प्रधानमंत्री के दखल के बावजूद वर्मा और अस्थाना के खिलाफ शिकायतों से जुड़े तथ्यों को लीक किया जा रहा है। 

कुछ का दावा है कि यह विवाद यूटी कैडर (यूनियन टेरेटरी) और गुजरात कैडर के बीच चल रही लड़ाई का नतीजा है। वर्मा यूटी कैडर और अस्थाना गुजरात कैडर के अधिकारी हैं। यह दूसरा अवसर हैं जब इन दो कैडर के अधिकारी एक दूसरे के आमने-सामने हैं। इससे पहले यूटी कैडर के अधिकारी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख करनैल सिंह और गुजरात कैडर के अधिकारी एवं वित्त सचिव हसमुख अढिया के बीच हुई खींचतान जगजाहिर है। तब ईडी के अधिकारी राजेश्वर सिंह ने अढिया पर एक मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। बताया जाता है कि बाद में उन्होंने लिखित में माफी मांग ली थी। 

इस विवाद के सामने आने का खमियाजा ईडी के प्रमुख करनैल सिंह को भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसा माना जा रहा था कि सरकार उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार देने का मन बना रही थी लेकिन अब उनकी जगह किसी नए अधिकारी की तलाश हो रही है।