निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई की एमडी और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर तथा वीडियोकॉन कंपनी के प्रमुख वेणुगोपाल धूत की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। केंद्रीय कार्पोरेट मंत्रालय (एमसीए) ने आईसीआईसीआई-एनयू पॉवर मामले में रिपोर्ट तैयार कर ली है। अब इस मामले से जुड़ी छह कंपनियों के डायरेक्टरों और प्रमोटर्स के खिलाफ मामला चलाने पर विचार हो रहा है। 

सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय की जांच में पाया गया है कि वीडियोकॉन में कंपनी एक्ट की विभिन्न धाराओं का 25 बार उल्लंघन किया गया। सूत्रों का दावा है कि वीडियोकॉन में डायरेक्टरों को 'निर्धारित सीमा से ज्यादा' लोन दिया गया। 

मंत्रालय के अनुसार, 'किसी भी कार्पोरेट कंपनी में बोर्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बोर्ड की जिम्मेदारियां स्पष्ट और कंपनी की कार्यप्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होती है।' सूत्रों का दावा है, अधिकारी अभी इस मामले में मनी ट्रेल का पता लगा रहे हैं। धन का प्रवाह भी जांच के घेरे में है। केंद्रीय कार्पोरेट मंत्रालय अगले 15 दिन में प्रधानमंत्री कार्यालय को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। 

मंत्रालय कंपनी एक्ट, 2013 के तहत 23 अप्रैल, 2018 को आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन मामले से जुड़ी छह कंपनियों की जांच के आदेश दे चुकी है। 

अधिकारियों का दावा है कि वीडियोकॉन समूह के लिए लोन मंजूर करने के पीछे चंदा कोचर का उद्देश्य संदेहास्पद है। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि लोन पास करते समय चंदा कोचर की मंशा सही नहीं थी। इस दौरान हुआ लेनदेन भी जांच के घेरे में है।' मनी ट्रेल के बारे में पूछने पर अधिकारी ने कहा, 'हम मनी ट्रेल और पैसे के प्रवाह को स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हमारे पर कुछ जानकारियां हैं। जल्द ही इसका खुलासा हो जाएगा।'

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, इस संबंध में मुंबई ईकाई के क्षेत्रीय निदेशक की अगुवाई में जांच चल रही है। जांच में कंपनी एक्ट के कई उल्लंघन सामने आए हैं। इसमें दीपक कोचर की एनयू पॉवर और वीडियोकॉन में डायरेक्टरों की नियुक्तों का ब्यौरा शामिल है। माना जा रहा है कि ये नियुक्तयां छद्म डायरेक्टरों के तौर पर हुई थीं। रिपोर्ट में इन लोगों को डायरेक्टर बनाए जाने की प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया है।

अधिकारियों के मुताबिक, 'जांच के दौरान पाया गया कि वित्तीय स्टेट्समेंट में कई गलत जानकारियों दी गईं। दोनों कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट में भी गड़बड़ी पाई गई है। कंपनी की इमेज अच्छी दिखाने के लिए बोर्ड मीटिंग को लेकर भी गलत सूचनाएं दी गईं।'