मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने पूरा जोर लगा रखा है। पार्टी ने अपने शीर्ष नेताओं को चुनावी तैयारी में झोंक रखा है। इसी बीच, पार्टी के मुखपत्र 'नेशनल हेराल्ड' में एक सर्वे छपा है, जिससे कांग्रेस की ही फजीहत हो रही है।  

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर 'नेशनल हेराल्ड' में छपे एक सर्वे को लेकर कांग्रेस की किरकिरी हो रही है। पार्टी ने राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अपने शीर्ष नेताओं को झोंक रखा है। कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को हवा देकर पार्टी चुनाव जीत सकती है। इसी कड़ी में पार्टी के मुखपत्र में तमिलनाडु स्थित स्पिक मीडिया नेटवर्क की ओर से किया गया एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ।

मुखपत्र में प्रकाशित खबर में कहा गया कि अगर मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा साथ मिलकर लड़ते हैं तो भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। लेकिन खबर के साथ लगे ग्राफिक्स और सर्वे के नतीजे कुछ दूसरी ही कहानी कह रहे हैं। 

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इसके मुताबिक, अगर तीन दल अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा के लिए फिर सत्ता हासिल करना काफी आसान होगा। पार्टी अपने दम पर 130 से 147 सीटें तक जीत सकती है। कांग्रेस को 73 और  बसपा को 9 सीटें ही मिलेंगी। अगर बसपा और कांग्रेस मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो मुकाबले में आ जाते हैं। हालांकि यहीं पेंच है। सर्वे के मुताबिक, दोनों मिलकर चुनाव लड़ने पर भी भाजपा को  बहुमत पाने से नहीं रोक पाएंगे। यानी भाजपा फिर भी 126 से 130 सीटें जीत सकती है। यानी पार्टी के पास बहुमत के 115 के जादुई आंकड़े से 10 सीटें ज्यादा होंगी। यह सर्वे जुलाई के मध्य में किया गया था। इसके नतीजे 27 जुलाई को जारी किए गए। 

सर्वे के मुताबिक, मध्य प्रदेश के लोग अब भी सबसे प्रभावशाली नेता के रूप में देखते हैं। 

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