गाजीपुर। बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। बांदा जेल में हार्ट अटैक के बाद मुख्तार को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई । उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से मुख्तार अंसारी 5 बार विधायक थे। चलिए बताते हैं आपको मुख्तार अंसारी के परिवार के बारे में ।


कौन थे मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी का जन्म हाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उनका खानदान  एक इज़्ज़तदार  राजनीतिक खानदान था।  मुख्तार के दादा अहमद अंसारी फ्रीडम फाइटर थे और गांधी जी के साथी थे। वो कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। मुख्तार के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की जंग में शहीद हुए थे उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्तार के चाचा लगते थे और मुख्तार के पिता सुभान अल्लाह अंसारी भी राजनीति में थे

राजनीतिक सफर
मुख्तार अंसारी ने 1996 में बहुजन समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीता था। मऊ विधानसभा सीट से मुख्तार पांच बार विधायक रहे। जेल में बंद रहने के दौरान उन्होंने तीन बार चुनाव लड़ा और जीता। कुछ लोगों के लिए मुख्तार मसीहा थे। मुख्तार पर 60 से ज्यादा क्रिमिनल केस थे। उन पर हत्या का प्रयास और हत्या जैसे गंभीर आरोप थे 8000 पैसे थे जिसमें उन्हें सजा भी सुनाई गई दो मामलों में उन्हें उम्र कैद की सजा हुई।

कैसे बने मुख्तार माफिया
मुख्तार का साफ सुथरा राजनीतिक सफर साल 2002 में हमेशा के लिए बदल गया और उन पर माफिया का ठप्पा लग गया।  दरअसल भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय ने 1985 में अंसारी परिवार की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन लिया। यह सियासी अदावत कृष्णानंद राय के लिए काल साबित हुई । साल 2005 में एक कार्यक्रम के इनॉगरेशन से कृष्णानंद राय लौट रहे थे तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर  करके अंधाधुंध फायरिंग कर दी गई। यह हादसा ऐसी जगह हुआ जहां से गाड़ी मोड़ नहीं सकती थी। कृष्णानंद राय समेत 7 लोग मारे गए। इस पूरे मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दी गई कृष्ण नारायण राय की पत्नी अलका राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद यह केस  गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया लेकिन गवाहों के मुकर जाने से कृष्णानंद राय को इंसाफ न मिल सका। इस घटना के बाद मुख्तार अंसारी माफिया बन गए पूर्वांचल में उनकी तूती बोलने लगी। 17 साल मुख्तार जेल में रहे लेकिन जेल में रहने के दौरान भी उनका दबदबा पूर्वांचल में हमेशा रहा।

योगी सरकार के आने के बाद बदले दिन
मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था और तब से वह जेल में बंद थे। एक मामले में मुख्तार अंसारी को यूपी की बांदा जेल से पंजाब की रोपड़ जेल भेज दिया गया जहां वह लंबे समय तक रहे जब यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो मुख्तार ने कोशिश किया कि वह यूपी वापस ना आए। इस बात को लेकर यूपी  और पंजाब की सरकार के बीच तनातनी चलती रही और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आर्डर पर यूपी में मुख्तार अंसारी को शिफ्ट किया गया और साल 2021 में मुख्तार अंसारी को बांदा जेल पहुंचा दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक मुख्तार अंसारी की करोड़ों की संपत्ति को जप्त कर लिया है। कह सकते हैं कि योगी सरकार के आने के बाद मुख्तार के बुरे दिन शुरू हो गए। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया था कि मुख्तार को बांदा जेल में जहर दिया जा रहा है जिसकी वजह से उनकी तबीयत खराब रह रही है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हो पाई क्योंकि डॉक्टर ने मुख्तार की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताइ है ।

उत्तर प्रदेश में धारा 144
मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उनके पैतृक आवास के बाहर भारी मात्रा में लोगों की भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई है जिसके बाद मोहम्मदाबाद में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है वही गाजीपुर आजमगढ़ मऊ समेत कई इलाकों पर हाई अलर्ट रहने का आदेश दिया गया है आपको बता दे कि मुख्तार की मौत के बाद पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लगा दी गई है।


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