नई दिल्ली। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने अब एक बड़ा फैसला करने जा रही है। इस फैसले का असर देश के वीआईपी पर पड़ेगा। खासतौर से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती पर पड़ेग। केन्द्र सरकार ने वीवीआईपी सुरक्षा में तैनात एनएसजी कमांडो को हटाने के फैसला किया है। जिसके तहत अब इन वीवीआईपी को अन्य सुरक्षा एजेंसियों की सुरक्षा मिलेगी।

केन्द्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही गांधी परिवार से एसपीजी की सुरक्षा वापस ली है। वहीं अब केन्द्र सरकार ने वीआईपी सुरक्षा में बदलाव करने का फैसला किया है। वीआईपी की सुरक्षा में तैनात एनएसजी कमांडो को हटाकर उन्हें आंतकवाद विरोधी अभियानों के लिए लगाया जाएगा। वहीं इन वीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा अन्य सुरक्षा एजेंसियों को दिया जाएगा। गांधी परिवार से एसपीजी की सुरक्षा हटाने के बाद उन्हें सीआईएसएफ की सुरक्षा दी गई है। वहीं अब इन वीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा भी सीआईएसएफ को दिया जा सकता है।

अभी तक केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास एनएसजी कवर है। वहीं यूपी की पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, पूर्व उपप्रधानमंत्री और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को भी एनएसजी की सुरक्षा मिली हुई है। फिलहाल गृह मंत्रालय एनएसजी का इस्तेमाल आतंकवाद रोकने, विमान अपहरण के खिलाफ अभियानों पर केंद्रित करना चाहता है।

क्या है एनएसजी

केन्द्र सरकार ने 1984 में एनएसजी का गठन किया था। हालांकि शुरूआत में वीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा इसके पास नहीं था। लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल जोखिम वाले नेताओं की सुरक्षा में किया जाने लगा। इन वीआईपी की सुरक्षा में दो दर्जन कमांडो हमेशा तैनात रहते हैं। फिलहाल देश के 13 वीआईपी को ये सुरक्षा मिली हुई है।

अगर वीआईपी सुरक्षा से एनएसजी को हटाया जाता है तो करीब 450 कमांडो इनकी सुरक्षा से मुक्त हो जाएंगे। वहीं इन वीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को सौंपी जा सकती है। हालांकि सीआरपीएफ और सीआईएसएफ पहले से ही देश के 130 प्रमुख वीआईपी की सुरक्षा में लगी हुई है।