मुंबई। मुंबई विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक कार्यक्रम को बगैर किसी पूर्व सूचना के रद्द कर दिया है। जिसके बाद राज्य में इसको लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। हालांकि संघ से जुड़े संगठन इसे राज्य सरकार पर सहयोगी दलों के दबाव की बात कर रहे हैं।

मुंबई विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी ने संघ के एक कार्यक्रम को बीच में ही रद्द करे का आदेश दिया है। जिसका राज्य में विरोध शुरू हो गया है। संघ के संगठन रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी ने मुंबई विश्वविद्यालय से एक आवासीय प्रशिक्षण शिविर संचालित करने की अनुमति ली थी। हालांकि पहले विश्व विद्यालय प्रशासन ने अनुमति दी थी। लेकिन बाद में अचानक इसे रद्द कर दिया है। जिसका राज्य में कड़ी आलोचना हो रही है और लोग इसे उद्धव ठाकरे सरकार पर बदले की भावना से किया गया कार्य बता रहे हैं।

भाजपा के मुंबई प्रमुख आशीष शेलार ने कहा कि प्रशिक्षण शिविर को रद्द करना राज्य सरकार की विफलता को दर्शा रहा है।  सरकार को मदरसों, बार और रेस्तरां में इस तरह के शिविर लगाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएमपी एक प्रतिष्ठित संगठन है जो अनुसंधान और प्रशिक्षण का कार्य करता है। विभिन्न विश्वविद्यालयों और संगठनों ने अपने प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करता है। विश्वविद्यालय में 30 जनवरी को डिप्टी, और असिस्टेंट रजिस्ट्रार सहित 30 प्रशासनिक अधिकारियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया था। एक सत्र पूरा होने के बाद सत्र को बीच में ही रद्द कर दिया गया है।

गौरतलब है कि राज्य में शिवसेना की कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की सरकार है। पिछले दिनों ही मुंबई में एक प्रोफेसर को राहुल गांधी के खिलाफ बयान देने के कारण छुट्टी पर भेज दिया गया था। जबकि राज्य में सावरकर का मुद्दा गर्माया हुआ  है। जिसको लेकर शिवसेना और कांग्रेस आमने सामने है।