मौलाना सलमान नदवी दारुल उलूम नदवतुल उलेमा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैं और वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य भी हैं। उन्होंने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए एक बेहद अहम सुझाव दिया है। 

मौलाना नदवी का कहना है कि मुसलमानों की शरीयत किसी मस्जिद को शिफ्ट करके दूसरी जगह बनाए जाने की इजाजत देती है। इसलिए अमन की खातिर मस्जिद के लिये दूसरी जगह बड़ी जमीन लेकर समझौता कर लेना चाहिए। 

यह भी पढ़िए- राम मंदिर के लिए मध्यस्थता का जिम्मा इन तीनों पर

उन्होंने कहा कि इस्लामी शरियत में मस्जिद को शिफ्ट करने की इजाजत है। इसके लिए उन्होंने संदर्भ देते हुए कहा कि खलीफा हजरत उमर ने कूफा शहर में एक मस्जिद को शिफ्ट करके उसकी जगह पर खजूर का बाजार बनवा दिया था। इस वाकये से स्पष्ट होता है कि मस्जिद को शिफ्ट करना जायज है।

मौलाना नदवी ने भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए कहा कि जहां तक श्री रामचंद्र जी की शख्यित का ताल्कुक है, वह बहुत बड़े रिफॉर्मर थे और मुसलमान मानते हैं कि दुनिया में एक लाख 24 हजार पैगंबर हुए हैं। भगवान राम भी अपने वक्त के पैगबंर थे।

यह भी पढ़िए- साध्वी प्राची ने भी कहा राम हैं सबके आराध्य

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के अब मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों की समिति बनाए जाने के फैसले पर मौलाना नदवी ने कहा कि मुकदमा लडऩे से किसी की हार होती है तो किसी जीत। उसमें जो जीतता है वह खुद को विजयी मानता है लेकिन जो हराता है वह बेइज्जत महसूस करता है, लेकिन समझौते से इंसानियत को बढ़ावा मिलता है।

इससे पहले भी मौलाना सलमान नदवी ने श्री श्री रविशंकर के साथ अयोध्या विवाद में समझौते की कोशिश शुरू की थी। अयोध्या विवाद को सुलझाने की मुहिम में लगने के बाद मौलाना सलमान नदवी को ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड से बर्खास्त कर दिया गया। 

मौलना सलमान नदवी दारुल उलूम नदवतुल उलेमा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। यह विश्वविद्यालय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पहले अध्यक्ष और उनके नाना अली मियां ने बनवाया था।
 
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को बातचीत से सुलझाने को मध्यस्थता समिति बनाने का आदेश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे।

यह भी पढ़िए- कुछ ऐसा है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 उनके साथ श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू भी हैं। समिति को चार हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपनी है और मध्यस्थता के लिए बातचीत फैजाबाद में होगी। इस कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग नहीं होगी।

यह भी पढ़िए- योगी आदित्यनाथ भी दे चुके हैं राम मंदिर पर बड़ा बयान