हमेशा वामपंथी और इस्लामवादी वर्चस्ववादी एक दूसरे का उपयोग अपने स्वार्थों को पूरा करने के लए करते रहे हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मीडिया में अपने मित्रों का उपयोग यह दिखाने के लिए किया कि दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध प्रदर्शन धर्मनिरपेक्ष कैसे हैं। थरूर दिखाना चाहते थे कि पूरा देश एक साथ कैसे है। लेकिन दुर्भाग्य से, इस्लामवादियों ने उसके राजनीतिक एजेंडे को पूरी तरह से नाकाम और नष्ट कर दिया है।

पाकिस्तान का समर्थन करने वाले और हिंदू धर्म को खत्म करने के कई नारे वहां पर लगे थे। जो किसी भी प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। भारत जैसे एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में हम सभी को हमारी स्वतंत्रता है कि भले ही हम किसी भी धर्म में विश्वास करें, लेकिन निश्चित रूप से हिंदू धर्म को नष्ट करने की कीमत पर नहीं। हाल ही में एक घटना में हमने देखा कि कैसे शशि थरूर अपने इस्लामिक चरमपंथी दोस्तों का समर्थन हासिल करने में विफल रहे।

पिछले दिनों हमने थरूर को सीए विरोध प्रदर्शन के दौरान इस्तेमाल की जा रही ला इल्ल इल्लल्लाह चैट के खिलाफ बोलते देखा था। हमने उन्हें ट्वीट करते हुए देखा था कि सीएएस  के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों को इस्लामी चरमपंथ को भी जन्म नहीं देना चाहिए। शायद यही कारण था कि जब वह शाहीन बाग में अपने साथी जेहादियों के साथ हाथ मिलाने के लिए गए थे तो उसी इसका और हिंदू विरोध के राग का सामना करना पड़ा। यही नहीं थरूर के इस्लाम चरमपंथी दोस्तों ने उन्हें एक नरम चरमपंथी कहा। 

जिस कारण से उन पर नरम चरमपंथी का आरोप लगाया गया था, जबकि उन्होंने सीएए के विरोध को "उनकी लड़ाई" करार दिया था। हालांकि चरमपंथी लोग ये चाहते थे कि वह यह बताना बंद कर दें कि उन्हें क्या करना चाहिए। लेकिन जिस दिन वीडियो शूट किया गया, उस दिन वह अपने इस्लाम समर्थक दोस्तों के समर्थन को जीतने में नाकाम रहे, जिन्होंने थरूर को हिंदुत्व का झंडाबरदार माना। माना जाता है कि आधुनिक समय में "धर्मनिरपेक्ष" भारतीय हलकों में, हिंदुत्व हिंदू अतिवाद का पर्याय है, जिसकी तुलना अक्सर जिहाद और बलपूर्वक ईसाई धर्मांतरण से की जाती है।

हालांकि, थरूर की अपने इस्लामिक चरमपंथी दोस्तों को शांत करने की कोशिशें की। लेकिन वह विफल रहे।आइए अब इंतजार करें और देखें कि क्या हम उसे ला इलाहा इल्लल्लाह का जाप करते हुए पाते हैं या नहीं। हमें लगता है कि उनके अंदर भावनाएं हैं और वह वास्तव में सरकार की मदद करनी चाहिए। जो कि संसद के निर्वाचित सदस्य के रूप में उसका अनिवार्य काम है।

(अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं।

उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं। अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ईटीएच से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (एमबीए) भी किया है।)