हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम पहले श्यामला था। लेकिन अंग्रेजों को इस संस्कृतनिष्ठ नाम का उच्चारण करने में तकलीफ होती थी, इसलिए उन्होंने इसका नाम शिमला कर दिया। 

यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। इसी को आधार बनाकर कई संगठन बरसों से शिमला का नाम बदलने की मांग कर रहे थे। अब हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मांग पर विचार करने का फैसला किया है। 

हालांकि 2016 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि शिमला अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का जगह है। 

लेकिन विश्व हिंदू परिषद् के हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष अमन पुरी का कहना है कि गुलामी शारीरिक, मानसिक और सांस्कृतिक होती है और अंग्रेजों के द्वारा दिए गए नाम को नहीं बदलना मानसिक गुलामी का प्रतीक है। 

वीएचपी हिमाचल प्रदेश में कई अन्य नामों में भी बदलाव करने की मांग कर रही है। इसमें होटल पीटरहॉफ, नूरपुर और डलहौजी के नाम प्रमुख हैं।

हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार भी कह चुके हैं, कि नाम में बदलाव से कोई हानि नहीं है। 

शिमला अंग्रेजी हुकूमत के समय 1864 से भारत की आजादी तक देश का समर कैपिटल था। इस दौरान हिमाचल में कई इलाकों और इमारतों के नाम अंग्रेजों द्वारा दिए गए हैं।