नई दिल्ली।

अपने कैरियर की शुरूआत एक साधारण कैशियर के तौर पर करने वाले और फिर कभी भारत के सोलहवें नंबर के सबसे अमीर बनने वाले जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल को अब कंपनी छोड़नी पड़ेगी। कंपनी में 24 फीसदी ही हिस्सेदारी रखने वाली एतिहाद एयरवेज ने शर्त रखी है कि जेट एयरवेज को घाटे से उबारने के लिए वह इसमें निवेश करेगी। लेकिन नरेश गोयल को चेयरमैन के पद से हटना होगा और इससे उनका कंपनी में मालिकान हक खत्म हो जाएगा।

काफी अरसे से घाटे में चल रही जेट एयरवेज का आर्थिक संकट आने वाले दिनों में खत्म हो सकता है। क्योंकि अभी तक जेट में 24फीसदी की हिस्सा रखने वाली एतिहाद एयरवेट ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सहमति दे दी है। लेकिन जेट के चेयरमैन नरेश गोयल को अपने पद से इस्तीफा देना होगा और नय मैनेजमैंट अपने हिसाब से कारोबार करेगा। नरेश गोयल ने जेट की नींव रखी और किसी दौर में ये ये भारत की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी थी और नरेश गोयल भारत के 16वें नंबर के सबसे अमीर लोगों में शुमार थे।

एतिहाद एयरवेज कुछ शर्तों के साथ जेट में 3.8 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इसके लिए उधार पर पैसा देने वाले बैंक अपने पैसे को इक्विटी में बदलेंगे। एतिहाद के इस प्लान के लागू हो जाने के बाद नरेश गोयल का कंपनी पर स्वामित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। जेट ने आर्थिक संकट के कारण देश के कई रूट में अपने जहाजों का परिचालन बंद कर दिया है। जिसके कारण कर्मचारियों में काफी रोष।

कुछ दिन पहले ही नरेश गोयल ने कर्मचारियों को कंपनियों की आर्थिक स्थितियों से रूबरू कराया था। नरेश गोयल ने अपने शेयरों को गिरवी रखने के लिए विमानन मंत्रालय से मंजूरी ले ली है। इसके तहत जेट प्रिवलेज में अपने शेयरों को गिरवी रखने के लिए विमानन मंत्रालय से मंजूरी भी ले ली है। इस प्लान के तहत जेट की हिस्सेदारी 49.9 फीसद होगी जबकि 50.1 फीसदी हिस्सेदारी एतिहाद की होगी।