नई दिल्ली। देशभर में नागरिकता संसोधन कानून को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर कम करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग देश के ईसाइयों को यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि किस तरह से सीएए उनके लिए फायदेमंद है और इससे उन्हें किसी भी तरह का नुकसान नहीं है। इसके लिए कमीशन ने देशभर में अभियान चलाया हुआ है। कमीशन का कहना है कि ईसाई समुदाय को इसका विरोध करने के बजाए इसका समर्थन करना चाहिए। हालांकि कुछ ईसाई संगठन सीएए के पक्ष में भी हैं।

फिलहाल संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। हालांकि मुस्लिम इसके खिलाफ हैं। जबकि कुछ मुस्लिम संगठन सीएए का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर मुस्लिम इसके खिलाफ हैं। इसके साथ ही देश के क्रिश्चन भी इसके खिलाफ हैं। पिछले दिनों ही कोलकाता में ईसाई समुदाय ने विरोध रैली का आयोजन किया था। लिहाजा राष्ट्रीय अल्पंसख्यक आयोग ने क्रिश्चिनों को समझाने के लिए  अल्पसंख्यक पैनल का गठन किया है।

इस पैनल ने देश के सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया है। इस दौरान  लगभग 100 चर्च नेताओं से मुलाकात की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पैनल ने चर्च  के पुजारियों और चर्च के नेताओं से बातचीत की। हालांकि पैनल को कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पैनल के सदस्यों ने महाराष्ट्र, ओडिशा, केरल, कर्नाटक, झारखंड, तमिलनाडु और दिल्ली में चर्च नेताओं से मुलाकात की है।

इसके एक सदस्य ने कुरियन ने पुष्टि की कि वह सीएए पर चर्चा करने के लिए विभिन्न संप्रदायों के ईसाइयों से मिल रहे हैं, लेकिन विवरण साझा करने से इनकार कर दिया। पैनल एक ईसाई वरिष्ठ वकील ने कहा कि सीएए किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनता है। उनका कहना है कि सीएए को लेकर गलतफहमी फैलाई जा रही हैं। जिसके बारे में सभी लोगों को सही जानकारी देने की जरूरत है। इस कानून के लिए देश मजबूत होगा। क्योंकि बाहर से आने वाले घुसपैठियों की पहचान आसानी होगी।