अगले साल अप्रैल महीने में राज्यसभा की 52 सीटें खाली होंगी। इस दौरान 15 राज्यों के विभिन्न दलों के 52 सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। इनमें भाजपा के 15, जदयू के 3 और अन्नाद्रमुक के 4 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं बीजद के भी दो सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। जबकि विपक्षी दलों में कांग्रेस के 13, तृणमूल कांग्रेस के चार और कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राकांपा के दो सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
नई दिल्ली। भले ही मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने अपनी बेहतर रणनीति के तहत राज्यसभा में सभी प्रस्तावों को पारित कर विपक्ष को बड़ा झटका दिया है। लेकिन अगले साल भाजपा को शायद अन्य विपक्षी दलों की तरफ मदद के लिए न देखना पड़े। अगले साल अप्रैल में राज्यसभा की 52 सीटें खाली हो रही हैं। जिसमें ज्यादातर सीटें भाजपा के खाते में ही जाने की उम्मीद की जा रही है।
अगले साल अप्रैल महीने में राज्यसभा की 52 सीटें खाली होंगी। इस दौरान 15 राज्यों के विभिन्न दलों के 52 सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। इनमें भाजपा के 15, जदयू के 3 और अन्नाद्रमुक के 4 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं बीजद के भी दो सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। जबकि विपक्षी दलों में कांग्रेस के 13, तृणमूल कांग्रेस के चार और कांग्रेस की सहयोगी पार्टी राकांपा के दो सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
गौरतलब है कि अभी राज्यसभा के 245 सदस्यों के उच्च सदन में विभिन्न दलों के सदस्यों के इस्तीफे के चलते आठ सीटें खाली हैं और भाजपा को उम्मीद है कि उपचुनाव में उसके खाते में आसानी से पांच सीटें आ जाएंगी। इन आठ सीटों के लिए उपचुनाव होना है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के तीन राज्यसभा सदस्यों ने इस्तीफा दिया है। इसमें भाजपा ने नीरज शेखर को उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी भी बना दिया है।
वहीं जैसे ही दो अन्य सीटों पर उपचुनाव घोषित होगा। भाजपा अपने प्रत्याशियों का ऐलान करेगी। वहीं कांग्रेस के राज्यसभा में चीफ व्हिप भुवनेश्वर कालिता के इस्तीफा देने के बाद भाजपा उन्हें भी असम से प्रत्याशी घोषित कर सकती है। कलिता ने राज्यसभा की सदस्यता से उस वक्त इस्तीफा दिया था जब राज्यसभा में 370 अनुच्छेद हटाने के लिए बहस चल रही थी। ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था।
फिलहाल उच्च सदन में भाजपा के 78 सदस्य हैं। सदन में बहुमत के लिये उसे 123 सदस्यों की जरूरत है। हालांकि सात अगस्त को समाप्त हुए सत्र में भाजपा ने बेहतर रणनीति बनाकर भारी विरोध के बाद सभी प्रस्ताव पारित कराए थे। इसमें इसको बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिला। जबकि अनुच्छेद 370 को खत्म करने में बसपा के सदस्यों ने सरकार का साथ दिया है।
अप्रैल में खाली होंगी 52 सीटें
अगले साल अप्रैल में राज्य सभा की 52 सीटें खाली हो रही हैं। इसमें सात महाराष्ट्र में, छह तमिलनाडु में, पांच-पांच सीट पश्चिम बंगाल और बिहार में, चार-चार सीटें गुजरात और आंध्र प्रदेश में जबकि तीन तीन सीटें राजस्थान, ओडिशा और मध्य प्रदेश में खाली हो रही हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल में भाजपा को राज्यसभा के लिए ज्यादा उम्मीद नहीं है।
लेकिन तब तक राज्य की विधानसभा की स्थिति में बदलाव आ सकता है। राज्यसभा में भाजपा को महाराष्ट्र और बिहार से बढ़त मिलेगी। हालांकि भाजपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से खाली हो रही सीटों पर नुकसान होगा। क्योंकि अब इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। वहीं उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और गुजरात में पार्टी अपनी सीटों में इजाफा करेगी।
Last Updated Aug 12, 2019, 1:19 PM IST