नई दिल्ली।  बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तैयारी कर ली है और राज्य में कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल के साथ चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस चुनाव में युवाओं पर दांव खेलना चाहती है और इसके लिए पार्टी ने पुराने नेताओं के परिवार के बेटे बेटियों को चुना है। पार्टी में चुनाव में इस बार भी परिवारवाद हावी रहेगा। फिलहाल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक तिहाई सीटों का दावा किया है। वहीं कांग्रेस का मानना है कि राज्य में विपक्षी दलों के महागठबंधन की स्थिति मजबूत है और इस बार बेहतर प्रदर्शन होगा। फिलहाल कांग्रेस टिकट बंटवारे को लेकर फूंक फूंक कर चल रही है और उनका मानना है कि एक भी गलती चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर भारी पड़ सकती है।

राज्य में जल्द ही चुनाव का ऐलान हो सकता है। चुनाव आयोग ने भी साफ कर दिया है कि राज्य में तय समय  पर चुनाव होंगे। लिहाजा राज्य के सभी सियासी दल चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं।  राज्य में कांग्रेस और राजद मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं इन दोनों दलों के साथ रालोसपा और वीवीआईपी भी है। इन दलों ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन बनाया था।  लेकिन लोकसभा चुनाव में महागठबंधन  महज एक सीट पर जीत दर्ज कर सका था। फिलहाल जानकारी के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 सीट पर चुनाव लड़ी थी और उसने 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं राज्य में फिलहाल पार्टी के पास अब 26 विधायक है।

वहीं कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी 2010 के चुनाव में अलग  चुनाव लड़ी थी और कांग्रेस को कांग्रेस को 8 सीट मिली। फिलहाल राज्य में कांग्रेस राजद के साथ चुनाव लड़ रही है और इससे पार्टी को जरूर फायदा होगा। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि फिलहाल वरिष्ठ नेताओं के बेटे- बेटियों को टिकट दिया जाएगा। इसके लिए करीब एक दर्जन नेता अपने बेटे-बेटियों को टिकट दिलाने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा कुछ पार्टी नेताओं का कहना है कि राज्य में चल रहे सदस्यता अभियान में कई युवा अच्छा काम कर रहे हैं और नए कार्यकर्ता और नेताओं को मौका देना चाहिए। ताकि जीत तय हो सके और परिवारवाद का भी  ठप्पा पार्टी पर न लगे।