नई दिल्ली। भारत के दोस्त इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को वहां पर हुए मध्यावति चुनाव में एक बार फिर बहुमत नहीं मिला है। हालांकि इजराइल में किसी भी राजनैतिक विचार वाले गुट के पास सरकार बनाने का कोई आंकड़ा नहीं है। लेकिन इस बार भी कोई अगर कोई गठबंधन बनाकर सरकार नहीं बनाता तो वहां पर एक बार फिर चुनाव होने की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है। इजराइल में सरकार बनाने के लिए 61 सांसदों की जरूरत होती है।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी 31 और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी ब्लू ऐंड वाइट को 32  सीटें मिली हैं। वहां पर पांच महीने बाद फिर चुनाव हुए थे। लेकिन इस चुनाव में कोई भी पार्टी सरकार बनाने के आंकड़े को नहीं छू सकी है। हालांकि इजराइल में अभी तक किसी भी राजनैतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। इजराइल में सरकार बनाने के लिए 61 सांसद चाहिए।

लिहाजा दोनों ही दल सरकार बनाने में पीछे हैं। वहीं 9 सीटें जीतने वाली बीतेनू पार्टी इसके बाद किंगमेकर बन गए हैं। बीतेनू पार्टी के नेता एविगदोर लीबरमैन नेतन्याहू की सरकार में 2016 से 2018 तक रक्षा मंत्री रह चुके हैं। लिहाजा माना जा रहा कि अगर वह समर्थन देते हैं तो नेतन्याहू फिर छटी बार इजराइल के पीएम बन सकते हैं। हालांकि इस बार उनकी राह इतनी आसान नहीं है।

इस चुनाव में वामपंथी गुट को 56 जबकि नेतन्याहू के नेतृत्व वाले दक्षिणपंथी गुट को 55 सीटें मिली हैं। लिहाजा दोनों ही गुट सरकार बनाने के 61 सीटों के जादुई आंकड़े से दूर है। गौरतलब है कि इजरायल के सबसे लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता का माहौल  बना हुआ है  अब एक बार फिर देश में गठबंधन की सरकार बनने की संभावना बन गई है।

इजराइल के संसद में 120 सदस्य हैं। फिलहाल नेतन्याहू ने इजराइल में मिली जुली सरकार बनाने के विकल्प को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी ऐसे दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे जो आतंकियों की तारीफ करती हो और जिन्होंने हमारे जवानों नागरिकों और बच्चों की हत्या की हो।