राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों की शहादत को कभी नहीं भूलेगा। सीआरपीएफ की 80वीं वार्षिक परेड को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, 'उन 40 बहादुर जवानों को जिन्होंने पुलवामा में आहुति दी, राष्ट्र उन्हें ना भूला है और ना भूलेगा। हम इसका मुकाबला करेंगे, क्या करना और कब करना है यह तय करने में हमारी लीडरशिप सक्षम है। फिर चाहे वो आतंकवादी हों या फिर आतंकियों की मदद करने वाले।'

14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने किया था। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में जैश के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक की थी।

डोभाल ने कहा, 'जब भी हम चर्चा करते हैं कि किस परिस्थिति में कौन सा बल भेजना है, कितनी बटालियन भेजनी है, हम कहते हैं कि सीआरपीएफ भेजो। ये विश्वनीयता है। हम पूरी तरह इस पर विश्वास करते हैं, ऐसी विश्वसनीयता वर्षों के बाद आती है।'

सौजन्यः दूरदर्शन

डोभाल ने सीआरपीएफ के योगदान को बेहद अहम बताते हुए कहा, 'आंतरिक सुरक्षा का बहुत महत्व है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 37 देश ऐसे थे, जो टूट गए या फिर अपनी संप्रभुता खो बैठे। इनमें से 28 का कारण आंतरिक संघर्ष था। देश अगर कमजोर होते हैं तो उसका कारण कहीं न कहीं आंतरिक सुरक्षा की कमी होती है। इसका दायित्व सीआरपीएफ पर है तो आप समझ सकते हैं कि कितनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आपको मिली है।' 

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत विभाजन के दौरान सीआरपीएफ के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि शायद लोग भूल गए हैं कि भारत-पाक विभाजन के दौरान बेहद कम संख्या थी, लेकिन सीआरपीएफ ने जो भूमिका अदा की थी उस पर किताब लिखी जा सकती है। 

डोभाल बोले, 'मेरा भी इस यूनिफॉर्म के साथ और भारत की सुरक्षा से 51 साल से जुड़ाव है। 37 साल मैं भी पुलिस का हिस्सा रहा। मुझे सेना और पुलिस के साथ काम करने का मौका मिला। लेकिन, आप के बल की कुछ विशेषताएं हैं। यही एक बल है, जिसमें इतनी विविधता है। वीआईपी सुरक्षा, आतंकवाद, कठिन क्षेत्रों में तैनाती और पूर्वोत्तर की चुनौतियों समेत जहां भी जरूरत पड़ी, वहां सीआरपीएफ को भेजा गया।

साल 2014 के बाद से ये दूसरा मौका है जब डोभाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर किसी भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया है। इससे पहले डोभाल ने 2015 में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के कार्यक्रम बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया था।