नई दिल्ली।  इंदौर शहर सफाई को लेकर देश में सबसे अव्वल स्थान पर हैं और पानी को लेकर एक नया प्रयोग करने जा रहा है। असल में नगर निगम ने फैसला किया है कि अब शहर में होने वाले बड़े निर्माण कार्यों के लिए अब केवल उपचारित पानी यानी ट्रीटेड वाटर का इस्‍तेमाल किया जाएगा। इससे एक तरफ जहां पानी की बचत होगी वहीं जमीन से जल दोहन भी कम होगा। इसके लिए शहर में 75 हाईड्रेंट बनाए जाएंगे।

देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर पांचवीं बार स्वच्छता के क्षेत्र सबसे ऊपर है। लेकिन अब नगर निगम ने शहर के गंदे पानी को इस्तेमाल किए जाने के लिए नया प्रयोग किया है। इसके जरिए शहर में होने वाले बड़े निर्माण कार्यों के लिए अब केवल उपचारित पानी यानी ट्रीटेड वाटर का प्रयोग किया जा सकेगा। इसके लिए नगर निगम ने फैसला किया है और और इस योजना के तहत शहर में  ट्रीटमेंट प्लांट में उपचारित पानी को निर्माण कार्यों के लिए 75 हाईड्रेंट बनाए जाएंगे। फिलहाल जानकारी के मुताबिक शहर में ट्रीटमेंट प्लांट में से 25 तैयार हैं और अब नगर निगम कड़े नियम बनाने जा रहा है। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों पर एक से दो लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है और नवंबर से उपचारित पानी उपलब्ध कराने की तैयारी है। हालांकि इंदौर से पहले दिल्ली, हैदराबाद और बेंगलुरू में यह काम सफलतापूर्वक किया जा रहा है। फिलहाल इंदौर रोजाना 105 एमएलडी पानी का फिर से उपयोग कर सकता है।

जबकि मौजूदा वक्‍त में इंदौर शहर में रोजाना 300 एमएलडी गंदा पानी निकलता है। लेकिन अब नगर निगम कॉलोनाइजरों, बिल्डरों और बड़ी व्यावसायिक या आवासीय इमारतें के लिए नियम बना रही है और उन्हें उपचारित पानी का इस्तेमाल करना होगा। ये  पानी शुल्क के साथ मिलेगा। इसके लिए फिलहाल शहर में 25 हाईड्रेंट बनाए गए हैं। वहीं इसके लिए नगर निगम 16 करोड़ रुपए का खर्च कर रहा है। नगर निगम का कहना है कि पांच हजार वर्ग फीट से बड़े आकार के निर्माण करने वालों को बोरिंग या नर्मदा का पानी इस्‍तेमाल करने पर रोक रहेगी और नियम नहीं मानने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।