बिहार में खुफिया विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों की जांच को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को साधना चाहते हैं। अब इस मामले में नीतीश कुमार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का भी साध मिल रहा है। यानी साफ है कि संघ के जरिए नीतीश दूर की राजनीति साधने की कोशिश कर रहे हैं। जो राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसी गठबंधन के तौर पर देखा जा सकता है।

संघ नेताओं की जांच को लेकर बिहार में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस  नीतीश कुमार के पक्ष में खड़ी है। इसके जरिए कांग्रेस भी अपना हित देख रही है। क्योंकि राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को भी सहयोगी दल का साथ चाहिए । जबकि नीतीश कुमार भाजपा से पीछा छुडाना चाहते हैं। नीतीश कुमार को लगता है कि उनकी अगुवाई में पूरा विपक्ष एकजुट हो सकता है।

जदयू और राजद के बीच कई मुद्दों को लेकर आपस में सहमति बनती दिख रही है। जिसके जरिए नीतीश कुमार राज्य में दूर की राजनीति को साधने का सपना देख रहे हैं। यही नहीं संघ नेताओं की जांच पर नीतीश राज्य में मुस्लिमों का साधने की तैयार कर रहे हैं। अगर वह इसमें सफल हो जाते हैं तो राजद का वोट बैंक जदयू की तरफ आ सकता है। फिलहाल कांग्रेस के विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश सरकार को बेहिचक रुटीन कार्य करना चाहिए।

उन्होंने खुलेतौर पर इस मामले में नीतीश को समर्थन दिया है। हालांकि भाजपा ने इस मुद्दे पर सीधे पर नीतीश कुमार को नहीं घेरा है। क्योंकि राज्य का गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है। हालांकि कुछ लोगों का ये भी कहना है कि नीतीश सधे हुए कदम चल रहे हैं। क्योंकि ये भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री या फिर गृहमंत्री की तरफ से इसके लिए कोई भी आदेश नहीं दिया गया है।

लिहाजा एक संदेश देकर नीतीश इस मामले को खत्म कर सकते हैं। क्योंकि इसके जरिए जिस तरह की राजनीति को वो साधना चाहते हैं, वह संघ की जांच से पूरा हो जाएगा। राज्य में कोई भी विपक्षी दल भाजपा का उभार नहीं देखना चाहता है। भले ही नीतीश ने भाजपा के साथ लोकसभा का चुनाव साथ लड़ा हो, लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार सहज नहीं हैं। लिहाजा वह विपक्षी दलों को एकजुट कर विधानसभा की चुनाव की तैयारियों में लगे हैं।