पटना। राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले पांच विधान पार्षदों के इस्तीफे और रघुवंश प्रसाद के इस्तीफे के बाद राजद उबर भी नहीं सकी है।  लेकिन अब उसकी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने जा रही हैं। क्योंकि विप में सदस्यों की संख्या के आधार पर राजद को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि राज्य विधान परिषद में राजद से मुख्य विपक्षी दल तमगा छिन सकता है और राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छिन सकती है। अगर ऐसा होता है तो राबड़ी देवी को मिला सरकारी बंगला खाली करना होगा। क्योंकि राबड़ी देवी को जो सरकारी बंगला मिला है वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिला है।

बताया जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड जल्द ही राजद से परिषद में मुख्य विपक्ष दल का तमगा छिन सकता है। क्योंकि नियमों के तहत राजद के पास अब संख्या नहीं है। क्योंकि पांच पार्षदों के इस्तीफे के बाद परिषद में राजद की ताकत कम हो गई है। वहीं राजद में पार्षदों के बगावत के बाद राज्य के विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि कोई सदस्य अगर मांग करता है कि राजद से नेता प्रतिपक्ष का दायित्व वापस लिया जाए तो इस पर विचार किया जाएगा।

नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष पद के लिए कुल संख्या का 10 फीसद होना जरूरी है और राज्य की विधान परिषद में 75 सदस्यों में इस आधार पर आठ पार्षदों की संख्या होनी चाहिए। लेकिन राजद में बगावत होने के बाद पार्टी के परिषद में तीन सदस्य ही बचे हैं और वर्तमान चुनाव में वह तीन सीटें जीतने जा रही है। उसके बावजूद उसके छह सदस्य परिषद में होंगे।  लिहाजा नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छिनने के बाद राजद नेता राबड़ी देवी को नियमों के तहत सरकारी बंगला छोड़ना पड़ सकता है।

एक ही दिन में राजद को दो बड़े झटके

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को एक ही दिन में दो बड़े झटके लगे हैं। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने पद से इस्तीपा दे दिया है।  वह पार्टी में पूर्व सांसद रामा सिंह को लाने का विरोध कर रहे हैं।  रामा सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में रघुवंश को वैशाली सीट से हराया था। रघुवंश प्रसाद सिंह कोरोना संक्रमित हैं और पटना के एम्स में उनका इलाज चल रहा है। फिलहाल  रामा सिंह 29 जून को राजद की सदस्यता लेने वाले हैं।  माना जा रहा है कि रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी से अलविदा भी कह सकते हैं। वहीं मंगलवाल को राजद को दूसरा बड़ा झटका पांच विधान पार्षदों के पार्टी को अलविदा कहने के बाद लगा। क्योंकि राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए औरर इस गुट को जदयू में विलय की स्वीकृति भी मिल गए है।