पटना। केन्द्रीय कैबिनेट में जगह न मिलने से नाराज बिहार के सीएम नीतीश कुमार अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिल सकते हैं। इस मुलाकात के बाद दोनों दलों के नेताओं की नाराजगी दूर हो सकती है। हालांकि खुले तौर पर दोनों दलों के नेता एक दूसरे के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन आपस में मनमुटाव सार्वजनिक मंचों पर देखा जा रहा है।

केन्द्र में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार को समर्थन दे रही जनता दल (यूनाइटेड) ने पिछले महीने केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने से मना कर दिया था। जबकि बिहार में हुए कैबिनेट विस्तार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के विधायकों को शामिल नहीं किया था। चर्चा है कि नीतीश कुमार बीजेपी से नाराज चल रहे हैं।

हालांकि कुमार कह चुके हैं वह नाराज नहीं है और राजनीति में इस तरह के फैसले अकसर लिए जाते हैं। अब ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार अगले हफ्ते दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक में हिस्सा ले सकते हैं। इस दौरान वह दिल्ली में पीएम नरेन्द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे। 

बहरहाल बीजेपी भी काफी सोच समझकर अपने कदम चल रही है। राज्य में 2020 में विधानसभा चुनाव होने होने हैं। ऐसे में बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी या फिर जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल बीजेपी सहयोगी दल को छोड़ना नहीं चाहता है। हालांकि बीजेपी के कई मुद्दों को लेकर जदयू एकमत नहीं है।

क्योंकि उसे लगता है कि बीजेपी के साथ रहने से उसका अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज हो जाएगा। बिहार में लोकसभा चुनाव में राजद को मिली हार के बाद अल्पसंख्यक वोटों का झुकाव जदयू की तरफ हो रहा है। लिहाजा जदयू भी आगामी राजनीति को देखते हुए सधे कदम उठा रहा है।

उधर कल ही झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी और किसी से गठबंधन नहीं करेगी। गौरतलब है कि 30 मई को मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं हो के बाद जदयू ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद नीतीश कुमार पटना में बीजेपी नेता सुशील मोदी की इफ्तार पार्टी में भी नहीं गए, इसके बदले वह जीतन राम मांझी की इफ्तार पार्टी में गए। जिसके अब राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं।