सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु सरकार को झटका लगा है। कोर्ट ने पहाड़ो और चट्टानों के प्राकृतिक वातावरण को राजनीतिक पार्टियों द्वारा बहुरंगी और नेताओं की तस्वीरों लगाने पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है। 

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि आप पूरे माहौल को राजनीतिक बैनरों, नेताओं की तस्वीरों के साथ खराब करने की अनुमति नहीं दे सकते। आपको इसे हर हाल में रोकना होगा। 

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राजनीतिक दल के झंडों, विज्ञापनों, बैनर-पोस्टर से प्राकृतिक परिदृश्य के नुकसान को रोकने के लिए क्या कार्रवाई कर रही है। कोर्ट सरकार से दो हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

यह आदेश पशु अधिकारों से संबंधित एक संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में उन चुनावी उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराने के लिए न्यायिक आदेश देने की मांग की गई है। जो पहाड़ो आदि से अपने राजनीतिक विज्ञापन, झंडे, बैनर आदि को चुनाव खत्म होने के बाद नही हटाते। 

इस याचिका में तमिलनाडु के साथ-साथ मुख्य चुनाव आयोग, एआईडीएमके, डीएमके के महासचिव, बसपा, सीपीआईं, आईएनसी, एनसीपी जैसे राजनीतिक दलों को भी शामिल किया गया है। 

ज्ञात हो कि मद्रास हाईकोर्ट के 3 मार्च 2017 के फैसले को चुनौती दी गई है। हाइकोर्ट ने कहा है कि राज्य के लिए इस संबंध में तुरंत कदम उठाना संभव नहीं होगा। इसकी सफ़ाई में थोड़ा समय लग सकता है। 

याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि जब मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में ही रही थी उस दौरान कोई भी राजनीतिक दल अपनी उपस्थिति दर्ज नही कराई थी और न ही इससे संबंधित कोई हलफनामा दिया था।