दरअसल किसी भी मंदिर की परंपरा वहां स्थित मुख्य देवता या देवी की प्रकृति पर निर्भर करता है। भारत में ऐसे भी कई मंदिर हैं, जहां पुरुषों का प्रवेश निषेध है। आईए आपको बताते हैं, कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में- 

बिहार के मुजफ्फरपुर का माता राजराजेश्वरी मंदिर

यह मंदिर सामान्य हालातों में तो साल भर श्रद्धालुओं के लिए खुला होता है। लेकिन एक अवधि ऐसी आती है। जब यहां पुरुषों का प्रवेश निषेध होता है। यहां तक कि इसके मुख्य पुजारी को भी इस दौरान गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती। यह मंदिर राज राजेश्वरी देवी का है। यह बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में से गिना जाता है। नवरात्रि में इस मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर आजादी के पहले 1941 में स्थापित किया गया था। 
यह देवी के षोडशी यानी सोलह वर्ष की कन्या का स्वरुप है। आगम शास्त्र में वर्णित दश महाविद्याओं में इनका चौथा स्थान है।  सोलह अक्षरी मंत्र वाली इस देवी को सोलह भुजाएं एवं दो नेत्र है| इन्हें त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। 
बिहार के मुजफ्फपुर मंदिर में स्थित यह प्रतिमा शुद्ध स्वर्ण की है। यहां स्थित माता कुमारी कन्या के रुप में हैं। इसलिए उनके रजस्वला होने की अवधि में कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। यहां तक कि मुख्य पुजारी, जो कि पुरुष होते हैं, उन्हें भी प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती। 

केरल का कोत्तानकुलांगारा मंदिर, जहां स्त्री बनकर ही प्रवेश कर सकते हैं पुरुष
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुर में स्थित यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। इस मंदिर में पुरुष अपने सामान्य रुप में प्रवेश नहीं कर सकते। यहां घुसने के लिए पुरुषों का स्त्री रुप बनाना पड़ता है। यह मंदिर श्रीदेवी यानी माता लक्ष्मी का है। 
यहां हर साल चाम्याविलक्कू त्योहार मनाया जाता है। जिस दौरान आने वाले श्रद्धालुओं में स्त्रियों को तो कोई समस्या नहीं होती। लेकिन पुरुषों को पूरा मेकअप करके महिलाओं की तरह कपड़े और गहने पहनकर ही मंदिर में प्रवेश मिलता है। 

नासिक का त्रयम्बकेश्वर मंदिर

यहां के गर्भगृह में पुरुषों का प्रवेश निषेध है। यहां की मान्यताओं के मुताबिक पहले इस गर्भगृह में महिलाओं के घुसने की मनाही थी। क्योंकि यहां स्थित विकिरण महिलाओं के स्वास्थ को नुकसान पहुंचाता था। लेकिन बाद में भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड के अदालत में जाने की वजह से सदियों पुरानी इस परंपरा को हटाने की नौबत आ गई। ऐसी स्थिति में मंदिर की शुचिता को बचाने के लिए यहां स्त्रियों के साथ पुरुषों का प्रवेश भी निषेध कर दिया गया। ताकि परंपरा अक्षुण्ण रहे और अदालत के आदेश का भी सम्मान हो। इस कार्य के लिए मंदिर ट्रस्ट ने बकायदा जिला अधिकारी सहित सभी कार्यपालक अधिकारियों से बात की है। ताकि कानून सम्मत रास्ते से इस समस्या का हल निकाला जा सके। 

केरल का चक्कुलालातुकावू मंदिर 
केरल के अलापुझा जिले में बने इस मंदिर में हर साल पोंगल का खास त्योहार मनाया जाता है। इस मंदिर में लाखों महिला श्रद्धालु हिस्सा लेती हैं। यह कार्यक्रम करीब 10 दिन तक चलता है, जिसे नारी पूजा के नाम से भी जानते हैं। इस दौरान यहां पुरुषों का प्रवेश विशेष तौर पर वर्जित होता है। इसका गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड में नाम दर्ज है। 


विशाखापत्तनम का कामाख्या देवी मंदिर
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में कमाख्या देवी का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में सिर्फ महिलाओं को पूजा करने का अधिकार है। इतना ही नहीं इस मंदिर की पुजारी भी एक महिला है। इस मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।

 

कन्याकुमारी मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु के देवी कन्याकुमारी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। देवी भगवती के इस स्वरूप को संन्यास की देवी के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि इस मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषों का प्रवेश सख्त वर्जित है।माना जाता है कि विवाहित पुरुष देवी के इस स्वरूप के दर्शन कर लें तो उनके विवाहित जीवन में नकारात्मकता आ जाती है। इसी वजह से मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।

 

राजस्थान का पुष्कर मंदिर 
पुष्कर में ब्रह्म सरोवर के किनारे सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी का एकलौता मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषो का प्रवेश निषिद्ध है। क्योंकि देवी सावित्री के श्राप के मुताबिक जो भी विवाहित पुरुष यहां प्रवेश करेगा, उसका अनिष्ट होगा। 

 

उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले के शहर सकलडीहा में एक 120 साल पुराना मंदिर है। यह मंद‌िर संत श्रीपथ की याद में यह स्थापित किया गया था। कहा जाता है कि श्रीपथ ने बेटियों के विजय और बेटों के हार की कामना की थी। ऐसी मान्यता है क‌ि इस मंद‌िर में जब कभी भी कोई पुरुष प्रवेश करता है, उसका कुछ न कुछ बुरा जरूर होता है। उस व्यक्‍त‌ि की क‌िस्मत ब‌िगड़ जाती है और सब कुछ उल्टा सीधा होने लगता है।