नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज शरद पवार की राजनीति को समझना इतना आसान नहीं है। ये बात उनके दल के नहीं बल्कि विपक्षी दल के नेता कहते हैं कि पवार को समझने के लिए कई जन्म लेने होंगे। लेकिन अगर देखें तो राज्य में अभी तक किसी की सरकार नहीं बनी है। लेकिन अभी से शरद पवार राज्य की सत्ता के पॉवर सेंटर बन गए हैं। सरकार बनाने के लिए चाहे कांग्रेस हो या फिर शिवसेना दोनों ही शरद पवार के इशारे के इंतजार में हैं।

महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली की सत्ता तक शरद पवार का पॉवर चलता है।  शरद पवार को कोई दल दरकिनार नहीं कर सकता है। राज्य में हुए विधानसभा चुनाव से पहले कई नेताओं ने  पार्टी को अलविदा कहा तो उस वक्त शरद पवार ने कहा कि अपना भी वक्त आएगा। शायद पवार जानते थे कि राज्य में क्या स्थिति बनने वाली है। क्योंकि  जिन लोगों ने एनसीपी को एक मरी हुई पार्टी समझकर अलविदा कहा और भाजपा  और शिवसेना का दामन थामा तो आज वह नेता पछता रहे हैं। क्योंकि भाजपा सरकार नहीं बना सकी है जबकि शिवसेना खुद सरकार बनाने के लिए एनसीपी की तरफ दे ख रही है। 

लेकिन पवार की पॉवर राजनीति को अगर कोई समझ पा रहा है तो वह खुद पवार हैं। वह राज्य के साथ ही केन्द्र में भी स्थापित हो गए हैं। पिछले दो हफ्ते से मीडिया और टीवी चैनलों में पावर ही दिखाई दे रहे है। जबकि विधानसभा चुनाव के दौरान पवार को मीडिया ज्यादा भाव नहीं देता था। लेकिन दिल्ली से लेकर मुंबई तक हर जगह पवार की ही पूछ हो रही । अगर राज्य में शिवसेना की अगुवाई में सरकार बनती है तो इसका श्रेय पवार को ही जाएगा।

अगर देखें तो पिछले तीन दिनों के भीतर पवार की एक तरफ जहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई वहीं पीएम मोदी से भी उनकी मुलाकात हुई। हालांकि इससे पहले पीएम उनकी तारीफ भी कर चुके थे। जिसके बाद ये संभावना जताई जा रही है कि राज्य में कुछ भी बड़ा राजनैतिक  घटनाक्रम हो सकता है। फिलहाल शिवसेना पवार के पीएम  से मिलने को कोई बड़ा राजनैतिक घटनाक्रम नहीं मान रहे हैं। क्योंकि शिवसेना इसलिए ये सब कर रही है क्योंकि पवार उनकी मजबूरी बन गए हैं और पवार इसी मजबूरी का फायदा उठाने में लगे हैं।