अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पश्चिम बंगाल में चल रही राजनीति में कूद गए हैं। उन्होंने कहा जय श्री राम का इस्तेमाल बंगाल की संस्कृति से कोई नाता नहीं है। अब जय श्री राम का इस्तेकमाल लोगों को पीटने में हो रहा और इसका बंगाली संस्कृति से कोई रिश्ता नहीं है। हालांकि बीजेपी और टीएमसी जय श्री राम के उद्घोष को लेकर आमने सामने है।

अमर्त्य सेन ने कहा कि मौजूदा दौर में कोलकाता में रामनवमी अधिक मनाई जाती है जबकि मैने इसके बारे में पहले नहीं सुना था। असल में अमर्त्य सेन का ये बयान राज्य की ममता सरकार को समर्थन दे रहा है। क्योंकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहा था कि राम का इस्तेमाल राज्य में बाहर से आए लोग कर रहे हैं। उनका इशारा उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों के लोगों पर था, जो पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। 

गौरतलब है कि राज्य में जय श्री राम नारे को लेकर राजनैतिक घमासान मचा है। बीजेपी इसके जरिए राज्य के हिंदू वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है जबकि टीएमसी इसका विरोध कर मुस्लिमों वोटरों को लुभाने की कोशिश में है। फिलहाल अकसर अपने बयानों के कारण विवादित रहने वाले नोबेल पुरस्कानर विजेता अमर्त्य  सेन की टिप्पघणी अहम मानी जा रही है।

उन्होंने इस बयान के जरिए ममता बनर्जी को समर्थन दिया है। हालांकि सेन पहले भी केन्द्र की बीजेपी की सरकार के खिलाफ कई बार बयान दे चुके हैं। क्योंकि उन्हें ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है। अमर्त्य सेन ने कहा कि जब उन्होंने अपनी चार साल पोती से पूछा कि उसकी पसंदीदा भगवान कौन से हैं तो उसने कहा कि मां दुर्गा।

लिहाजा मां दुर्गा के महत्वन की तुलना रामनवमी से नहीं की जा सकती। राज्य में टीएमसी और बीजेपी जय श्री राम के मुद्दे पर आमने सामने है। हालांकि अब टीएमसी भी इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती है। क्योंकि ममता को मालूम है कि जितना इसका विरोध किया जाएगा उतना ही हिंदू वोटर उससे दूर भागेंगे।