पुलवामा आंतकी हमले के बाद पाकिस्तान पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है। युद्ध की आशंकाओं को देखते हुए पाकिस्तान की मुश्किलें भारत ही नहीं बल्कि उसके नौकरशाहों ने भी बढ़ा दी हैं। नौकरशाहों का कहना है कि पुलवामा आंतकी हमला मुंबई आंतकी हमले से अलग है। इसके लिए पाकिस्तान को कूटनीति पहल करनी चाहिए। 

असल में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव को देखते हुए पाकिस्तान के तीन पूर्व विदेश सचिवों ने पाकिस्तान सरकार को आगाह करते हुए कहा कि वह भारत की किसी आक्रामक कार्रवाई से निपटने के लिए तैयारी करके रखें और संकट को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए कूटनीति की मदद लें। नौकरशाहों का मानना है कि पुलवामा हमला मुंबई हमला नहीं है। भारत सरकार पुलवामा हमले के बाद एक स्थानीय किस्म की कार्रवाई कर सकती है। जबकि मुंबई आंतकी हमले में भारत ने संयम बरता था। जबकि वर्तमान में स्थितियां उलट हैं। नौकरशाहों ने पाकिस्तान की सरकार को सलाह दी है कि उस बिन कुछ उकसावा किए किसी संभावित आक्रामक कार्रवाई को नाकाम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

गौरतलब है कि 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले की साजिश पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने रची थी। असल में पाकिस्तान के तीन पूर्व विदेश सचिव रियाज हुसैन खोखर, रियाज मोहम्मद खान और इनामुल हक ने एक लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान की सरकार को आगाह किया है कि पुलवामा आंतकी हमले के बाद दोनों देश के रिश्ते नाजुक दौर पर पहुंच गए हैं और इसके लिए संयम लेने की जरूरत है। नौकरशाहों ने दोनों देशों की मीडिया, राजनीतिक नेतृत्व, खुफिया संस्थानों और लोगों की राय बनाने वालों से अपील करते हुए कहा है कि वे अशांत वातावरण में कुछ संतुलन बनाने के उपाय करने और संयम बरतने की जिम्मेदारी दिखाएं।

उधर अमेरिका में भी आंतकी हमले के बाद प्रवासी भारतीयों का गुस्सा उबाल पर है। करीब दो सौ से ज्यादा भारतीय-अमेरिकियों ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के विरोध में ह्यूस्टन में पाकिस्तान के वाणिज्यिक दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। भारतीय समुदाय के लोग टेक्सास, ऑस्टिन, डलास, सान फ्रांसिस्को और ह्यूस्टन के सूदूर इलाकों से आकर शुक्रवार को पाकिस्तान के वाणिज्य दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिये जमा हुए थे।