नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आज दिल्ली ने एम्स में निधन हो गया है। सुषमा स्वराज को थोड़ी देर पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उनका निधन हो गया। सुषमा स्वराज के निधन पर सभी नेता अपनी अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहे हैं।

सुषमा स्वराज ऐसी पहली विदेश मंत्री रही जिन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी कराई और सोशल मीडिया में आने वाली शिकायतों को तुरंत सुना और उसका निवारण किया। 

विदेश मंत्री के तौर पर उनके कार्यों को भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया याद रखेगी। सुषमा स्वराज को मोदी सरकार की तेज तर्रार मंत्रियों से से माना जाता था। उन्होंने अपने विदेश मंत्री के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया। हालांकि इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। क्योंकि उनका स्वास्थ्य पहले से ही खराब चल रहा था। 

यमन से 4640 भारतीयों को सुरक्षित बचाया

जब यमन में हूथी विद्रोहियों और वहां की सरकार के बीच लड़ाई चल रही थी तो वहां पर हजारों की संख्या में भारतीय फंसे हुए थे जो नौकरी के लिए वहां गए थे। वहां पर हालात काफी खराब थे। इसी बीच भारतीयों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज से मदद की गुहार लगाई।

तब सुषमा स्वनराज ने ऑपरेशन राहत चला कर साढ़े पांच हजार से ज्याईदा लोगों को बचाया गया। यही नहीं उन्होंने सिर्फ भारतीयों को बचाया बल्कि वहां पर फंसे 41 देशों के नागरिकों भी मौत के मुंह से निकाला। इस ऑपरेशन में यमन से 4640 भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया था।

सूडान में भी जंग से निकाले भारतीय

यमन की तरह दक्षिण सूडान में छिड़े सिविल वॉर में फंसे भारतीयों को भी सुषमा स्वराज ने सुरक्षित वतन वापस कराई। इस ऑपरेशन को संकटमोचन का नाम दिया गया। इसके तहत सूडान में फंसे 150 से ज्यामदा भारतीयों को वहां से निकाला गया। इसमें 56 लोग केवल केरल के शामिल थे।

लीबिया से निकाले 29 भारतीय

लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच चली जंग के बीच में फंसे सुषमा स्वराज ने स्वदेश वापसी कराई। उन्होंने विभिन्न सरकारो की मदद से लीबिया में फंसे 29 भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकाला। 

पाकिस्तान से लौटी गीता

विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्व।राज की कोशिशों से ही 15 साल पहले भटक कर पाकिस्तान की सरहद में पहुंची गीता नाम की लड़की को उन्होंने ही स्वदेश वापसी कराई। गीता आठ साल की उम्र में पाकिस्तान पहुंची थी और जब वह भारत लौटी उसकी उम्र 23 साल हो चुकी थी।

पाकिस्तानी को इलाज के लिए दिलाया वीसा

सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री रहते हुए 19 अक्टूबर 2017 दीवाली पर पाकिस्तान की सुमैरा हमद मलिक ने उनसे एक ट्वीट के जरिए मदद मांगी थी। सुमैरा अपने कैंसर पीड़ित भाई तैमूर उल हसन के इलाज भारत का वीजा चाहती थी।

सुमैरा ने भारत से वीजा के लिए छह महीने का लंबा इंतजार किया। लेकिन उसके बावजूद उसे मेडिकल ग्राउंड पर भी वीजा नहीं मिला लेकिन इसके बाद उसने सुषमा स्वराज को ट्वीट किया और उसे महज 24 घंटे के दौरान भारत का वीजा मिला गया।

इटली में हनीमून खराब होने से बचाया

इटली में हनीमून से जाने से पहले नए शादीशुदा जोड़े की मदद भी सुषमा स्वराज ने महज एक ट्वीट के जरिए की। उनके ट्विटर पर एक शिकायत आई जिमसें इटली में हनीमून पर जाने से पहले उनका पासपोर्ट खो गया है। सुषमा ने उन्हे तुरंत नया पासपोर्ट दिलाया।

अगस्त 2016 दिल्ली के फोटोग्राफर फैजान पटेल और उनकी पत्नी सना फातिमा के हनीमून प्लान पर कोई असर नहीं पड़ा और इटली से हनीमून मनाकर स्वदेश लौटने पर सुषमा का शुक्रिया भी अदा किया।

कश्मीर छात्र की फिलीपींस में की मदद

सुषमा स्वराज के पास 10 मई 2018 को फिलीपींस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक कश्मीरी छात्र ने नए पासपोर्ट के लिए मदद मांगी। लेकिन छात्र ने अपने प्रोफाइल पर अपनी लोकेशन 'भारत अधिकृत कश्मीर यानी आईओके लिखा था।

जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई तो छात्र ने माफी मांगी। इसके बाद उसको उसका नया पासपोर्ट मिल गया इसके लिए सुषमा ने मनीला स्थित भारतीय दूतावास से छात्र की मदद करने को कहा था।

मिस्र के 500 किलोग्राम के वजन वाले इमान को दिया वीजा 

सुषमा स्वराज के पास 2016 में 4 दिसंबर को मुंबई के डॉक्टर मुफ्फी लकड़वाला ने मिस्र की इमान अहमद की तस्वीर पोस्ट की। डा. मुफ्पी 500 किलोग्राम के  इमान अहमद के इलाज के लिए मेडिकल वीजा मांग रहे थे। लेकिन उन्हें मिला नहीं। इसके दो दिन के बाद ही 6 दिसंबर को डॉ. लकड़वाला को काहिरा में भारतीय दूतावास के जरिए इमान को मेडिकल वीजा मिल गया।

मानव तस्करी की शिकार महिला को बचाया

सुषमा स्वराज ने खाड़ी देशों में फंसे हजारों लोगों को तो निकाला। लेकिन उन्होंने एक ऐसी महिला की मदद की थी जो मानव तस्करों के चंगुल में फंस गयी थी। इसके लिए इस महिला के पति ने उनसे गुहार लगाई थी।

जिसके बाद उन्होंने हैदराबाद की जसिंथा मेनडोनका की मदद की और 2018 में उसे सऊदी अरब से मुक्त कराया। उस महिला ने भारत आकर खुलासा किया कि वह मानव तस्करी का शिकार हुई थी। इस महिला को वहां पर गुलामों की तरह रखा गया था।