नए साल की शुरूआत में देशवासियों के लिए अच्छी खबर आयी है। देश के ऊपर विदेशी कर्ज का भार कम हुआ है और इसके कारण हम लोगों से भी कर्ज का बोझ कम हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में देश के ऊपर विदेशी कर्ज कम हुआ है और इस दौरान कर्ज में 3.6 फीसदी की कमी आयी है। विदेशी कर्ज के कारण हर साल करीब 19 फीसदी धन ब्याज के तौर पर विदेशों को चला जाता है। अब इस धन के बच जाने से सरकार विकास की योजनाओं पर ज्यादा धन खर्च करेगी। 

इसे भारत की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। क्योंकि विदेशी कर्ज के बढ़ते दबाव के बीच ये देशवासियों के लिए अच्छी खबर है। पहली छमाही में देश के बाहरी कर्ज में 3.6 फीसदी की कमी आई है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबकि मार्च 2018 तक देश का बाहरी कर्ज 529.70 अरब डॉलर पर था जबकि सितंबर के अंत में यह कर्ज 19.3 अरब डॉलर कम होकर 510.40 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है। जबकि देश में रुपए का मूल्य लगातार गिर रहा था। हालांकि पिछले कुछ दिनों के भीतर रुपए में मजबूती आयी है। रुपए गिरकर 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था।

असल में वाणिज्यिक ऋण तथा अनिवासी भारतीयों के जमा में कमी और मूल्यांकन के प्रभावों के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश के बाहरी कर्ज में कमी आयी है। बैंक के मुताबिक सितंबर 2018 के अंत तक देश का बाहरी कर्ज मार्च 2018 के स्तर से 3.60 फीसदी कम हो गया। देश के ऊपर कर्ज का भार कम होने के पीछे वाणिज्यिक कर्ज तथा अनिवासी भारतीयों का जमा कम होना रहा है। इसके साथ ही बाहरी कर्ज में गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी डॉलर का भारतीय रुपए तथा अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मूल्यांकन कम होना भी रहा है।

भारत पर विदेशी कर्ज के कारण भारत सरकार हर साल अपनी कुल आय का 19 प्रतिशत से भी अधिक भाग ब्याज के तौर पर खर्ज कर देता है जबकि भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर कुल आय का 6 प्रतिशत से भी कम भाग खर्च होता है। बैंक का कहना है कि अमेरिकी डॉलर का मूल्यांकन कम होने से बाहरी कर्ज के मामले में देश को समान अवधि के दौरान 25.4 अरब डॉलर का फायदा हुआ है जबकि इस प्रभाव को हटा भी दिया जाए तो  सिंतबर के अंत तक बाहरी कर्ज में 19.3 अरब डॉलर के बजाय 6.10 अरब डॉलर की कमी आई है।

बैंक के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 तक देश पर बाहरी कर्ज 529.70 अरब डॉलर था। जून तिमाही अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले बाहरी कर्ज अनुपात 20.4 फीसदी पर आ गया. मार्च तिमाही अंत तक यह अनुपात 20.5 फीसदी था।