भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी पर चढ़ाई करने गए आठ पर्वतारोही लापता हो गए हैं। उनके हिमस्खलन की चपेट में आने की आशंका है। इन पर्वतारोहियों की खोज के लिए बचाव दल भेजा गया है। बचाव अभियान में जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, लापता हुए पर्वतारोहियों में भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया के नागरिक शामिल हैं। 

7,816 मीटर ऊंची नंदा देवी की पूर्वी चोटी पर चढ़ाई करने निकली इस टीम का नेतृत्व मशहूर ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरन कर रहे थे। यह दल 13 मई को पिथौरागढ़ के निकट मुनस्यारी से निकला था। इन्हें चोटी पर चढ़ाई के बाद 25 मई को ही बेस कैंप लौटना था। मोरन के अलावा ब्रिटिश पर्वतारोहियों में जॉन मैक्लॉरेन, रिचर्ड पायने, रूपर्ट हावेल शामिल हैं। अमेरिकी पर्वतारोहियों के नाम एंथनी सुडेकम और राचेल बिमेल हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया के पर्वतारोही का नाम रूथ मैक्रेन है। इस दल में इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडे भी शामिल हैं। 

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने लापता पर्वतारोहियों की तलाश में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया है। बचाव कार्य शनिवार को उस समय शुरू किया गया जब ये लोग बेस कैंप नहीं लौटे। इस बीच, आईटीबीपी और वायुसेना की मदद से चार पर्वतारोहियों को नंदादेवी बेस कैंप से रेस्‍क्‍यू कर पिथौरागढ़ लाया गया है। 

पिथौरागढ़ के डीएम विजय कुमार जोगडांडे के मुताबिक, 4 पर्वतारोहियों को बचा लिया गया है। 8 पर्वतारोही अब भी लापता है। आशंका है कि ये लोग नंदा देवी पूर्व के पास आए हिमस्खलन की चपेट में आ गए। पिछली बार जहां इन पर्वतारोहियों को देखा गया था वहां तक पहुंचने में कुछ दिन लग सकते हैं। पर्वतारोहियों की खोज का काम कल और आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। हालांकि यह मौसम पर निर्भर करेगा। 

उत्तराखंड एसडीआरएफ के आईजी संजय गुंज्याल के मुताबिक, लापता पर्वतारोहियों के दल के बाकी लोग पहले ही लौट आए थे। इन्‍हीं लोगों ने शुक्रवार शाम को अधिकारियों को बताया कि उनके साथी वापस नहीं लौटे हैं। 

खराब मौसम की वजह से शनिवार शाम को बचाव कार्य बंद करना पड़ गया था। रविवार को फिर से लापता लोगों को खोजने की कार्रवाई शुरू की गई। हालांकि इलाके में काफी बर्फ है और ऐसे में हेलीकॉप्‍टर कहीं लैंड नहीं कर पाएंगे। यह पर्वतारोही भारतीय सीमा की ओर के हिमालयी क्षेत्र में गायब हुए हैं।