भारत के धर्मशाला से एक ऐसी मुहिम शुरु हुई है, जो कि चीन को मुश्किल में डालने वाली है। खास बात यह है कि इसकी शुरुआत चीन के ही लोगों ने की है। विदेशों में बसे चीनी मूल के लोगों ने तिब्बत की आजादी के मुद्दे पर चीन की घेराबंदी की।
धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में चीन के खिलाफ एक मुहिम की शुरुआत की गई है। इसमें हिस्सा लेने के लिए विदेश में बसे चीनी मूल के लोग भारत आए। इन लोगों ने तिब्बत को मुक्त करने की मांग को लेकर एक प्रेस कांफ्रेन्स भी की।
इस प्रतिनिधिमंडल में आए लोग मूल रूप से चीन के ही निवासी हैं। जो कि वहां कम्युनिस्ट पार्टी के दमन से बचने के लिए यूरोप के देशों में रहते हैं। यह लोग भारत आए और चीन की कम्युनिस्ट सरकार के दमन के खिलाफ आवाज उठाई।
Himachal Pradesh: A group of Chinese delegates held a press conference expressing solidarity with Tibetan people on the 60th anniversary of the Tibetan National Uprising Day in Dharamshala. The delegates reside in different countries across Europe. (11/3/19) pic.twitter.com/FzaRN0K66X
— ANI (@ANI) 12 मार्च 2019
दरअसल तिब्बत पर चीन के कब्जे को 60 साल पूरे हो गए हैं। साठ साल पहले भारत को आजादी मिलने के 12 साल के बाद यानी सन् 1959 में चीनी सेनाओं ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था।
जिसके बाद वहां के धार्मिक गुरु और शासक दलाई लामा भागकर भारत आ गए थे। उन्होंने भारत में रहकर ही तिब्बत की निर्वासित सरकार की स्थापना की। तब से वह भारत में ही रहकर चीन का विरोध करते हुए तिब्बत की आजादी की मुहिम चला रहे हैं।
दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद उनके हजारो समर्थकों ने भी भारत में शरण ली। यह लोग हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं।
तिब्बत पर चीन के कब्जे के दिन दिन को तिब्बती लोग अपराइजिंग डे के तौर पर मनाते हैं। 60वें अपराइजिंग डे पर रविवार को धर्मशाला के मैकलोडगंज से पुलिस मैदान तक रैली निकाली गई। इस दौरान तिब्बती समुदाय के लोगों ने तिब्बत की आजादी को लेकर नारेबाजी की। साथ ही इंद्रूनाग (चौहला) से पुलिस मैदान धर्मशाला तक पैराग्लाइडर के माध्यम से फ्री-तिब्बत का झंडा भी लहराया।
तिब्बती लोगों की मांग है कि संयुक्त राष्ट्र उनके मुश्किलों पर ध्यान दे और तिब्बत की आजादी के लिए चीन पर दबाव बनाए। इन लोगों की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन की कैद से पंचेन लामा की रिहाई के लिए भी कोशिश करें।
तिब्बत की आजादी की मांग पिछले साठ(60) सालों से उठ रही है। लेकिन यह पहली बार है कि विदेशों में बसे चीनी लोगों ने इसमें अपना सुर मिलाया है।
अगर यह मुहिम तेज होती है तो चीन की कम्युनिस्ट सरकार को इसकी वजह से बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
Last Updated Mar 12, 2019, 3:27 PM IST