नई दिल्ली। पेरिस में चल रही फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक में पाकिस्तान को किसी भी देश का साथ नहीं मिला है। लिहाजा माना जा रहा है कि तीन दिन के बाद पाकिस्तान के कंगाली पर मुहर लग जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि किसी भी देश का साथ नहीं मिलने के कारण पाकिस्तान को एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट में डालेगा। पाकिस्तान 27 शर्तों में से महज दो को पूरा कर सका है।

फिलहाल पहले दिन की बैठक के बाद ऐसे संकेत मिले हैं। जिसके तहत पाकिस्तान आतंक के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने के कारण पाकिस्तान को अलग थलक कर दिया जाएगा। इसे पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हो जाता है तो वहां पर गृहयुद्ध जैसे हालत बन जाएंगे। क्योंकि पाकिस्तान को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संस्था से कर्ज नहीं मिलेगा और उसे कर्ज भी वापस करना होगा। ऐसे में जनता पर करों का बोझ बढ़ेगा। लिहाजा पहले से त्राही त्राही कर रही जनता सरकार के खिलाफ बगावत करेगी।

अभी तक पाकिस्तान आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने में नाकाम रहा है। यही नहीं उसनें आतंकियों व उनके संगठनों के खिलाफ ठोस कदम भी नहीं उठाए हैं। जिसके कारण पहले से ही उसमें ग्रे लिस्ट में डाला गया था। वहीं एफएटीएफ की एशिया पैसिफिक ग्रुप ने भी पाकिस्तान को पहले ही ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में आ सकता है।

हालांकि अभी तक चीन, मलेशिया और टर्की ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। माना जा रहा है कि अपनी गर्दन बचाने के लिए ये तीनों देश पाकिस्तान से किनारा कर सकते हैं। ऐसे में एफएटीएफ पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई कर सकता है। एफएटीएफ 18 अक्टूबर को पाकिस्तान पर अंतिम फैसला लेगा।

क्या है नियम

एफएटीएफ के नियमों के मुताबिक, ग्रे और ब्लैक लिस्ट के बीच डार्क ग्रे की भी श्रेणी होती है। अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट से बच भी जाता है तो उसे डार्क ग्रे लिस्ट में भी शामिल किया जा सकता है। ये पाकिस्तान के लिए कड़ी चेतावती हो सकती है। अगर पाकिस्तान फिर नहीं सुधरता है तो उसे इसके बाद होने वाली बैठक में ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाएगा।