बिजनौर बैराज से नरोरा बैराज तक 205 किलोमीटर क्षेत्र में डॉल्फिन की गणना के लिए छह दिन के अभियान में 30 व्यस्क डॉल्फिन और उनके तीन बच्चे होने की जानकारी मिली है। मेरठ के कॉर्डिनेटर शाह नवाज खान ने मंगलवार को यह जानकारी दी है। 

उन्होंने बताया कि डॉल्फिन के बच्चे मिलना इस बात का शुभ संकेत है कि डॉल्फिन प्रजनन कर रही हैं। डॉल्फिन तभी प्रजनन करती हैं जब गंगा का क्षेत्र उनके अनुकूल हो।

शाह नवाज के अनुसार गंगा का शेर कही जाने वाली डाल्फिन वहीं रहती हैं जहां पानी साफ हो और तीन से चार मीटर गहरा हो तथा शिकार के लिए पर्याप्त मात्रा में मछलियां हों। 

उन्होंने बताया कि बैराज पर पानी रोक कर नहरों में ज्यादा पानी डालने से गंगा में जल का स्तर कम हो जाता है जो डॉल्फिन के वास के लिए अनुकूल नहीं है इसलिए सरकार ई फ्लो सिस्टम लागू करने जा रही है जिससे डॉल्फिन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत गंगा किनारे के गांवों और अनूशहर तथा गढ़मुक्तेश्वर के घाटों पर गंगा की सफाई और डॉल्फिन संरक्षण के लिए जनजागरण अभियान भी चलाया गया है।