नई दिल्ली।  पड़ोसी देश नेपाल में जारी सियासी उठापटक के बीच कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच फिलहाल समझौते की गुंजाइश कम दिख रही है। वहीं अब ओली से मिलने के बाद चीन राजदूत हाओ यान्की दहल को मनाने उनके आवास पर पहुंची है। फिलहाल नेपाल में यान्की के बढ़ते दखल को देखते हुए नेताओं ने आलोचना करना शुरू कर दिया है। इन नेताओं का साफ कहना है कि कोई राजदूत इतना मजबूत नहीं हो सकता है और जरूर उसे ओली और सरकार का समर्थन मिला हुआ है।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे अध्यक्ष पुष्प कमल दहल के बीच बैठक दोबारा शुरू करने पर रजामंदी हो गई है। वहीं दहल ने कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करने पर सहमति जताई है। लेकिन इसके बावजूद नेपाल में प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं अभी तक दहल और ओली के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सका है और अब इस मामले में मध्यस्थता चीन की राजदूत हाओ यान्की कराने की कोशिश कर रही है और वह दहल से मुलाकात करने से पहुंची है।

हालांकि अभी तक दहल यान्की से नहीं मिले थे। जानकारी के मुताबिक यान्की गुरुवार सुबह 9 बजे दहल से आवास पर पहुंची और उनसे करीब 50 मिनट तक बात की। लेकिन इस बैठक के बाद यान्की को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया में नेपाल के पीएम और यान्की को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और लोग पूछ रहे हैं यान्की इतनी मजबूत क्यों हो गई है और उसे नेपाल के सियासत में इतनी रूचि क्यों है।

जानकारी के मुताबिक यान्की अभी तक राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, पीएम ओली, पार्टी के सीनियर नेता माधव कुमाप नेपाल और झालनाथ खनाल के साथ मुलाकात कर चुकी है और अभी तक प्रचंड उससे मिलने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन अब दहल की उससे मुलाकात हो गई है। माना जा रहा है कि नेपाल में सियासत में ओली के विरोध को खत्म करने के लिए चीन ने हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।