नई दिल्ली। नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार की मुसीबत में फंस गई है। नेपाल में ओली सरकार के खिलाफ जबरदस्त माहौल बनने लगा है और आम लोगों में धारणा बन गई है कि ओली सरकार चीन की गोद में जाकर बैठ गई है और देश के हितों को दरकिनार कर दिया है।  हालांकि नेपाल की सरकार ने अपनी जमीन पर चीन के कब्जे के दावों को खारिज किया है। लेकिन ओली के गले में अब ड्रैगन फांस बनने लगा है और उनकी कुर्सी खतरे में पड़ने लगी है। क्योंकि पार्टी के भीतर ही उनके सहयोगियों ने बगावत शुरू कर दी है।


असल में नेपाल के कृषि मंत्रालय के सर्वे विभाग के मुताबिक चीन  ने सीमा पर दस जगहों पर 36 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर उसे तिब्बत में मिला लिया है। विभाग ने संसद में इसके लिए  2017 में जारी दस्तावेजों को पेश कर सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है और इससे एक बात साफ हो गई है कि ओली सरकार चीन के लिए देश के हितों की अनदेखी कर रही है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर चीन को नेपाल के गांव को ‘गिफ्ट’ कर देने के आरोप लग रहे हैं और इसकी मुहिम सत्ताधारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ने शुरू कर दी है।  दहल ने ओली से इस्तीफा देने की मांग की है। संसद में जो दस्तावेज पेश किए हैं उसके मुताबिक चीन कुछ नदियों और उनकी सहायक नदियों का रूख मोड़कर जमीन पर कब्जा कर रहा है।

कृषि विभाग का कहना है कि अगर इन नदियों का यही रुख इसी तरह तो मोड़ा जाता रहा तो नेपाल की सैकड़ों हेक्टेयर जमीन तिब्बत में चली जाएगी। विभाग ने जो दस्तावेज संसद में रखें उसके मुताबिक हुमला जिले में 10 हेक्टेयर, रसुवा में 6 हेक्टेयर, सिंधुपालचौक में 11 हेक्टेयर और संखुवासभा में 9 हेक्टेयर जमीन चीन के कब्जे में चली गई है। जबकि दस्तावेज में ये नेपाल की जमीन है। विभाग का कहना है कि चीन इस जमीन पर अपना कब्जा जताने के लिए निगरानी चौकियों को स्थापित कर सकता है।

 फिलहाल नेपाल की सरकार जमीन कब्जाने को मामले में फंस गई है। सरकार के साथ ही मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के सांसदों देवेंद्र राज कंदेल, संजय कुमार गौतम और सत्यनारायण शर्मा खनाल ने इस मुद्दे पर संसद में बहस कराने का प्रस्ताव पंजीकृत कराया था। उन्होंने सरकार से कहा कि वह इस मामले में देश के सामने सच्चाई को रखे।