नई दिल्ली। अल्पसंख्यकों, आतंकवाद, कश्मीर से जुड़े मुद्दों पर बेबाक तरीके से अपनी बात रखने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को भारतीय जनता पार्टी अब जल्द ही राज्यसभा में भेजेगी। हालांकि आरिफ अभी तक किसी भी दल से नहीं जुड़े हैं। लेकिन वह कभी भाजपा में भी रह चुके हैं। आरिफ को अल्पसंख्यकों मामलों का सुधारक माना जाता है।

हालांकि अभी ये साफ नहीं हुआ है कि आरिफ को भाजपा राज्यसभा में मनोनीत कर भेजेगी या फिर किसी खाली होने वाली सीट के जरिए उन्हें उच्च सदन में भेजेगी। हालांकि अभी तक आरिफ किसी भी दल में नहीं है। फिलहाल ये कहा जा रहा है कि संघ भी आरिफ को राज्यसभा में भेजे जाने का पक्षधर है और ये हो सकता है कि आरिफ आने वाले दिनों में पहले भाजपा में शामिल हों और फिर उसके बाद उन्हें राज्यसभा में भेजा जाएगा।

आरिफ 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे और 2007 में उन्होंने भाजपा से किनारा कर लिया। आरिफ कांग्रेस से दो बार, जनता दल और बसपा से एक-एक बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने संसदीय राजनीति से दूरी बना ली थी। पिछले दिनों जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और तीन तलाक के मुद्दे पर भाजपा सरकार की तारीफ की। आरिफ मोहम्मद ने कभी शाहबानो केस में राजीव गांधी के कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।

पिछले दिनों तीन तलाक पर आयोजित के कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने आरिफ मोहम्मद खान की भूमिका की जम कर तारीफ की थी। फिलहाल संघ भी चाहता है कि आरिफ को उच्च सदन में भेजा जाए। क्योंकि वहां पर मुस्लिमों की आवाज बन सकते हैं। इससे भाजपा को भी फायदा होगा।

यही नहीं संघ उन्हें भाजपा में शामिल कराने का भी पक्षधर है। आरिफ को सुधारक माना जाता है और वह देशहित और मुस्लिमों के मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं और कट्टरपंथियों को हमेशा ही कठघरे में खड़ा करते हैं। आरिफ मोहम्मद खान सबसे पहले शाहबानो केस में सुर्खियों में आए थे और उन्होंने राजीव गांधी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने से नाराजगी जताते हुए कांग्रेस और राजीव मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। आरिफ बहराइच और कानपुर से सांसद भी रह चुके हैं।