यंगून:  पिछले कुछ दिनों से नॉर्थ ईस्ट के आतंकवादी संगठन इस इलाके में चल रही विकास परियोजनाओं को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे। भारतीय एजेन्सियों को उनके गलत इरादों की खबर लग गई थी। 

इसके बाद योजना बनाकर 17 फरवरी से 2 मार्च तक भारत और म्यांमार की सेना ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया। जिसमें म्यांमार स्थित आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया गया। यह आतंकवादी संगठन हैं अराकान लिबरेशन आर्मी और एनएससीएन-के(नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैण्ड-खापलांग)।

 हालांकि विदेशी जमीन पर किया गया यह ऑपरेशन बालाकोट में हुई सफल एयर स्ट्राइक के शोर में दब गया था। लेकिन पिछले दिनों गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तीन सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया था। हालांकि उन्होंने इसका विवरण देने से मना कर दिया था। 

सर्जिकल स्ट्राइक(2016) और एयर स्ट्राइक(बालाकोट) के बारे में तो सभी जानते हैं। लेकिन तीसरी स्ट्राइक के बारे में अब जाकर पता चला कि यह म्यांमार मे जाकर की गई थी। 

खुफिया सूत्रों ने जानकारी दी थी कि म्यांमार में सितवे बंदरगाह के जरिए कोलकाता से मिजोरम को जोड़ा जा रहा कालादान प्रोजेक्ट आतंकी संगठनों के निशाने पर है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही कोलकाता से मिजोरम के बीच हजार किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। अभी ये दूरी तय करने में करीब चार दिन का समय लगता था।

म्यांमार के आतंकी संगठन अराकान लिबरेशन आर्मी ने मिजोरम सीमा पर कई आतंकी कैम्प बनाए थे। ये भारत के कालादान प्रोजेक्ट को काफी समय से निशाना बनाने की प्लानिंग कर रहे थे।

सेना के सूत्रों ने जानकारी दी कि  पहले चरण में मिजोरम की सीमा पर बनाए गए आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया गया। इसमें भारत-म्यांमार दोनो देशों की फौजों ने हिस्सा लिया। 
फिर ऑपरेशन के दूसरे भाग में सेना ने टागा में NSCN (K) के मुख्यालय पर हमला किया और कई आतंकी शिविरों का विनाश कर दिया।