नई दिल्ली। पाकिस्तान ने 15 दिन पहले ऐलान किया था कि वह मुंबई पर हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के जमात-उद दावा (जेयूडी) और इसकी इकाई फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) को प्रतिबंधित कर देगा। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, बल्कि इन्हें महज निगरानी संगठनों की सूची में रखा है। 

पाकिस्तान सरकार के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण (एनसीटीए) की वेबसाइट के मुताबिक, जेयूडी और एफआईएफ संगठन आतंकवाद रोधी अधिनियम 1997 की दूसरी अनुसूची की धारा 11-डी-(1) के तहत गृह मंत्रालय की निगरानी में हैं। यह वेबसाइट सोमवार को ही अपडेट हुई है।

एनसीटीए की वेबसाइट कहती है कि जेयूडी और एफआईएफ को निगरानी में रखने वाले संगठनों की सूची में डालने की अधिसूचना 21 फरवरी को जारी की गई है। बहरहाल, उससे पहले वेबसाइट कहती थी कि जेयूडी और एफआईएफ को जनवरी 2017 में निगरानी सूची में रखा गया था।

14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमले के बाद आतंकी समूहों पर लगाम लगाने का वैश्विक दबाव बढ़ने के बीच पाकिस्तान सरकार ने 21 फरवरी को जेयूडी और एफआईएफ को प्रतिबंधित करने का ऐलान किया था। इस हमले में 40 से ज्यादा सीआरपीएफ कर्मियों की मौत हो गई थी।

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि पाकिस्तान ने जेयूडी और एफआईएफ को प्रतिबंधित करने को लेकर झूठ बोला है। असल में, इसने दुनिया को मूर्ख बनाने के लिए सिर्फ निगरानी सूची की तारीख में बदलाव कर दिया।’ 

पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को एक अन्य आदेश जारी किया और कहा कि उसने जेयूडी और एफआईएफ जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सभी आतंकी संगठनों की संपत्तियों को जब्त कर ली है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह कुछ नहीं है बल्कि एक दशक से चले आ रहे छलावे को ही आगे बढ़ाया गया है क्योंकि दोनों संगठनों को पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी अधिनियम 1997 की दूसरी सूची में डाला गया है। 

अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय और लाहौर हाईकोर्ट ने 2018 में जेयूडी की संपत्ति को जब्त करने के किसी भी कदम को खारिज किया था, क्योंकि इसे दूसरी अनुसूचि में रखा गया है। इसलिए आतंकवाद रोधी कानून के तहत इसकी कोई भी संपत्ति जब्त नहीं की जा सकती है।

पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने 21 फरवरी को कहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक के दौरान दोनों संगठनों को प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है।

प्रवक्ता ने एक बयान में कहा था, ‘बैठक में प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का फैसला हुआ।’ उन्होंने कहा, ‘आगे यह फैसला किया गया कि जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को गृह मंत्रालय प्रतिबंधित संगठन के तौर पर अधिसूचित करेगा।’ 

अधिकारियों के मुताबिक, जेयूडी के नेटवर्क में 300 मदरसे और स्कूल, अस्पताल, एक प्रकाशन हाउस और ऐंबुलेंस सेवा है। दोनों समूहों के पास करीब 50,000 स्वयंसेवक हैं और सैकड़ों कर्मचारी हैं जिन्हें भुगतान किया जाता है। जेयूडी को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन माना जाता है। इसी संगठन ने मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 166 लोग मारे गए थे। इसे अमेरिका ने जून 2014 में विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया है।

अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने सईद को विशेष तौर पर घोषित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया हुआ है। अमेरिका ने 2012 में सईद की सूचना देने पर एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित किया है। एनसीटीए अबतक 69 आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है और बड़ी संख्या में ये संगठन बलूचिस्तान, गिलगित बाल्टिस्तान और संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र में हैं। एनसीटीए ने हिज्बुल मुजाहिदीन, हरकत उल मुजाहिदीन और अल बद्र जैसे मुख्य आतंकी संगठनों पर आंखे मूंदी हुई है।